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________________ दान और मृत्युपत्र [सोहवां प्रकरण लिखा था कि मैंने अपनी जायदादपर अपनी स्त्रीका कब्जा करा दिया और में या मेरे वारिस किसी समय उस जायदादके बारेमें या उसके मुनाफे या क्रीमतके बारे में कोई दावा नहीं कर सकते, माना गया कि दान पत्र पूरे अधिकारों सहित है-9 Cal. 830; 13 C. W. R. 109. स्त्रियौंको पूरै हक मिल सकते हैं-डावन मिलर चीफ़ जस्टिसने कहा हिन्दूलों में कोई ऐसी बात नहीं है जो किसी स्त्री को चाहे वह पत्नी हो या विधवा, जायदादपर पूर्ण अधिकार प्राप्त करने या इन्तकाल करनेका अख्ति. यार रखनेसे रोकती हो । यदि हिबानामेकी शर्तों में पूर्ण अधिकारका इन्तकाल किया गया हो, तो दान पाने वाली की जाति (स्त्री) का ख्याल किये बिना ही उनका अमल होना चाहिये । उस सूरतमें भी, जब हिबानामेकी इबारत या परिस्थिति से यह भी मालूम हो कि परिमित अधिकार दिया गया है तय भी उत्तराधिकारका हक्र प्राप्त होता है । जब दस्तावेजकी इबारत ही सन्देहात्मक हो या जब कि शब्द इतने विस्तृत न हों कि इन्तकालका अधिकार देते हों, तब यह समझना कानूनी है कि दाता हिन्दूलों की मामूली काबिलियतसे महरूम था जो स्त्रियों के सम्बन्धमें जायदादके विषयमें लागू है और उसकी इच्छापर विचार करने में यह झ्याल किया जा सकता है कि उस सूरतमें भी उत्तराधिकारका हक प्राप्त है। किन्तु जहाँपर शब्द इस प्रकार इस्तेमाल किये गये हों, जो स्वामित्वके पूरे अधिकारों को हस्तान्तर करने का अर्थ रखते हों, वहां स्पष्ठीकरणके अन्य सिद्धान्त बहुत कम महत्व पूर्ण होते हैं और उनके द्वारा शब्दोंके स्वाभाविक अर्थ में बाधा न पहुंचाई जानी चाहिये-हिन्तेन्द्रसिंह बनाम रामेश्वरसिंह 6 P. L. J. 634; 4 Pat. 510; 88 I. C. 141 (2) A. I. R. 1925 Patna. 625. (४) स्त्रीका ज़िन्दगी भरके लिये अधिकार - एक हिन्दूने अपनी जाय. दाद अपनी स्त्रीको दानकी, माना गया कि दानके द्वारा स्त्रीको पूरे अधिकार नहीं मिले बल्कि उस स्त्रीके जिन्दगी भरके लिये जायदाद मिली और दानके करने वालेके वारिस आपत्ति कर सकते हैं 1 All. 734. एक हिन्दूने कुछ मौजे अपनी स्त्रीको दानपत्रके द्वारा दे दिया, उसमें लिखा कि 'ऊपर मौजे जो मुझे इनाममें मिले थे दाम करता हूं।' माना गया कि यह दान स्त्रीके जीवनकाल तकके लिये है, देखो-5 C. L. R.29. दफा ७९७ दान मुश्तरका ख़ानदानके मेम्बरोंको बम्बई हाईकोर्ट के अनुसार जिस मामले में मुश्तरका हिन्दू खानदानके दो भाइयोंको कोई दान दिया गया हो तो वे दोनों काबिज़ शरीक ( Tenant in Common-देखो दफा ५५८) के तरीकेसे लेते हैं और 26 Bom. 455% 4 Bom. L. R. 102. वाले मुक़द्दमे में यह सूरत थी कि दो भाइयोंको दान
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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