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________________ दफा १२] हिन्दूलॉ का विस्तार २३ ग्रहण किया है बल्कि यह देखना चाहिये कि उन्होंने कितना हिन्दूला छोड़ा है 3 Indian Cases 124, 157. 158. (५) यूरोपियनोंके अनौरस पुत्र--दो हिन्दू स्त्रियोंसे एक यूरोपियनके कई एक अनौरस पुत्र थे, और वे सब हिन्दू रसम, रवाज मानते थे तो यह माना गया कि सब बातोंमें उनसे हिन्दूलॉ लागू होगा । हिन्दूला में कहा हुआ मुश्तरका हिन्दू खानदान वे लड़के नहीं बना सकते थे, परन्तु वे कोपार्सनर थे 8 M. I. A. 420 ( P.C.) ; 2 M H. C. 196; 2 Sindh. ( P. C. ) 4; यह लड़के हिन्दू रसम रवाज मानते थे, इसलिये उनका उत्तराधिकार भी हिन्दूला के अनुसार हुआ। (६) हिन्दू या सिख जिन्होंने हिन्दू खानपान और धर्मकृत्य छोड़ दिये हैं-हिन्दू खानपान और धर्मकृत्य जो कि पक्के हिन्दूके लिये परमावश्यक हैं छोड़ देनेपर भी हिन्दू या सिख हिन्दूही माना जायगा, क्योंकि वह हिन्दू पैदा हुआ था और उस धर्मसे अलग नहीं किया गया 31 C. 11, 33. (७) ब्रह्मसमाजी होजानेवाले सिख और हिन्दू--यह ज़रूरी नहीं है कि ब्रह्मसमाजी होजानेवाले सिख और हिन्दू अपनी जातिसे अलग समझे जावे 31 C. 11, 33. (८) पंजाबके कृषक समाज-पंजाबकी कृषक जातियां हिन्दूलॉ सख्ती से नहीं मानतीं, परंतु उसका असर अवश्य उनके कस्टमरीलॉ पर पड़ा हुआ है 11 P. R (1908); 92. P, L. R. 1901. (६) दो धर्म माननेवाले खानदान--जो खानदान हिन्दू और मुसलमान दोनोंके रसम और रवाज मानते हों उनसे हिन्दूला लागू किया जायगा 4 A. 343; 25 B.F51. (१०) मोलासेलमगिरासिया--मोलासेलमगिरासिया पहिले राजपूत हिन्दू थे, पीछे मुसलमान होगये । दायभाग उत्तराधिकारके मामलोंमें उनसे हिन्दूला लागू होता है 20 B. 181. (११) सुन्नी बहोरे मुसलमान--गुजरातप्रांतके अंतर्गत ढंका तालुक्के के सुन्नी और बहोरोंसे उत्तराधिकार और दायभागमें हिन्दूला लागू होता है 20 B. 53. (१२) एक प्रांतसे दूसरे प्रांतमें जा बसनेबाले खानदानोंसे कौनसा लॉ लागू होता है ? - (क) कोई हिन्दू खानदान जो एक ज़िलेसे दूसरे जिलेमें जाकर बसा हो, या एक प्रांतसे दूसरे प्रांतमें जाकर बसा हो, उसके बिषयमें यही माना जायगा कि वह अपने खानदानका रसम रवाज अपने साथ
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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