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________________ दाम दुपटका क़ानून पन्द्रहवां प्रकरण दफा ७८० दामदुपट किसे कहते हैं ? दामदुपका क़ानून हिन्दूलॉ के क़र्ज की एक शाखा है ' दामदुपट यह शब्द हिन्दी भाषा के दो शब्दोंके योगसे बना है, एक 'दाम' दूसरा 'दुपट ' दामसे मतलब मूलधनसे और दुपटसे मतलब दूनेसे है यानी मूलधनका दूना इस दामदुपटके क़ायदे के अनुसार किसी एक वक्तमें मूलधनसे अधिक ब्याज की रक़म नहीं ली जा सकती - देखो - ढूंढूं बनाम नरायन | Bom. H. C. 47. दामदुपटका क़ानून नया नहीं है बल्कि बहुत पुराना है, मनु, याज्ञवल्क्य आदिने, ब्याज कहां तक लिया जाय इस विषय में जो नियम बनाया था वह अब भी अंग्रेजी अदालतों में माना जाता है, भेद केवल इतना पड़ गया है कि प्राचीन कालमें सर्वत्र यह नियम माना जाता था अब सर्वत्र नहीं माना जाता । देखो मनु और याज्ञवल्क्यका मत- 3 कुसीदवृद्धिद्वैगुण्यं नात्येतिसकृदाहृता । मनु-- १५१ वस्त्र, धान्य, हिरण्यानां चतुस्त्रिद्विगुणापरा । याज्ञ २-३६ मनु -- कहते हैं कि मूलधनका ब्याज, एक समय में, मूलधनके दूने से अधिक नहीं मिल सकता तथा याज्ञवल्क्य कहते हैं कि वस्त्र, अन्न, और सुवर्ण ( धन ) इनका व्याज क्रमसे चौगुना, तिगुना और दूनेसे अधिक नहीं हो सकता । अर्थात् कपड़ेके क़र्जका ब्याज चौगुना, अन्तका तिगुना, और रुपये के क़र्जका ब्याज ज्यादासे ज्याज दूना हो सकता है । उदाहरण-क़ानूनके अनुसार दाम दुपटका उदाहरण ऐसा समझो कि महेशने १०००) रु० गणेशको दो रुपये सैकड़े माहवारीके सूदपर क़र्ज़ा दिया, जब सूदकी रक़म १५००) होगयी तब महेशने गणेशपर २५००) की नालिशकी ( मूलधन १०००) रु० और सूद १५००) रु० ) दामदुपटके क़ायदेसे महेशको कोई हक़ नहीं है कि वह व्याजकी रक़म मूलधनसे अधिक किसी एक वक्त में लेसके, महेशको २०००) रु० से ज्यादा डिकरी अदालत नहीं देगी किंतु यदि महेशने मूलधनका सूद चाहे क़िस्त बंदीसे या फुटकल तौर से ५००) नालिश करने से पहिले वसूल कर लिये हों तो ऐसा करनेका वह हक़दार है ।
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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