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________________ १४२ बेनामीका मामला [चौदहवां प्रकरण है उसने उस जायदादको बिना इल्म असली मालिकके, कीमतके बदलेमें तीसरे अादमीके हाथ बेचदी या रेहन करदी या और किसी तरहपर इन्तकाल करदी तो फिर असली मालिक उस तीसरे आदमीसे जायदाद वापिस लेने का अधिकार नहीं रखता, और न वह ऐसा दावा कर सकता है कि इन्तकाल रद्द कर दिया जाय और जायदाद वापिस दिलायी जाय, मगर शर्त यह है कि अगर ऐला इन्तकाल करते समय उस तीसरे आदमीको वास्तवमें ऐसा नोटिस मिल चुका हो कि दूसरे आदमी (बेनामीदार ) का नाम जायदादपर बेनामीदार है, या ऐसा मालूम होजाना लाजिमी हो तो ऐसा दावा होसकता है, देखो · सरजूप्रसाद बनाम बीरभद्र 20 I.A. 108; 11 Beng. L_R.46; 22 Cal. 909; 22 1. A. 129. ___ खरीदारका फर्ज -जायदाद खरीद करते समय खरीदारका केवल यही कर्तव्य नहीं है कि वह यह देख ले कि जायदादपर नाम किसका चढ़ा है या किसके नामसे खरीदी गयी है, बल्कि उसका यह भी आवश्यक कर्तव्य है कि वह इस बातकी जांच करे कि जायदाद वास्तवमें किसके क़ब्ज़ा व दखलमें है, अगर खरीदार ऐसी जांच करके योग्य संतोष प्राप्त करले और यह देखकर कि बेंचने वालेका नाम भी उसपर दर्ज है खरीद करले, तो खयाल किया जायगा कि उसने अपना कर्तव्य पालन किया और अगर खरीदार सिर्फ यह देखकर कि बेचने वालेका नाम उसपर है खरीदले तो अदालत यह मानेगी कि उसने अपना कर्तव्य पालन नहीं किया ऐसी सुरतमें उस जायदादका असली मालिक दोनोंपर दावा करसकता है कि तीसरे आदमीके हकमें जो इन्तकाल किया गया है रद्द कर दिया जाय, देखो-मनचरजी बनाम कोंगसेऊ 6 Bom. I. O. O. C. 59; 35 Bom. 269; 14 Cal. 109; 13 I. A. 160, 165. उदाहरण-'क' ने एक जायदाद 'ख' के नामसे खरीदी पीछे 'ख' ने उस जायदादको 'ग' के नाम बेच दिया, 'ग' अपने कर्तव्यका पालन ठीक तौर से न करके यानी यह कि जायदाद किसके कब्जे व दखलमें है इसकी जांच किये बिना खरीद करली, ऐसी सूरतमें 'क' दोनोंपर यानी 'ख' और 'ग' पर मालिश करसकता है कि जायदाद मुझे वापिस दिलाई जाय । यह ध्यान रहे कि जब ऐसे दावेसे अदालत जायदाद असली मालिकको पीछा दिलायेगी तो 'ग' को कोई हक नहीं होगा कि वह अपना रुपया जो 'ख' को दिया था 'क' से पा सके चाहे तो वह 'ख' पर दूसरी नालिश करे । और देखो इस सम्बन्ध में कानून जायदाद इन्तकाल सन् १८८२ ई० की दफा ४१ इस प्रकार है-जहां पर कि गैरमनकूला जायदादमें अनेक लोग शामिल हों और उनमें से किसीएकके इकरारसे यह बात ज़ाहिर करदी गयी हो या ज़ाहिर होती हो कि जो ज़ाहिरा मालिक था उसने जायदादको किसी चीज़के बदले इन्तकाल कर दिया, तो यह इन्तकाल महज़ इस वजहसे रह नहीं हो जायगा कि वह ज़ाहिरा मालिक
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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