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________________ दफा ७६६] स्त्रीधन की वरासत (ख) आसुर विवाह अगर स्त्रीका विवाह आसुर या किसी स्थानिक या खाज रीतिसे हुआ हो तो उसका स्त्रीधन पहिले उसकी माताको उसके बाद पतिको और यदि वे दोनों न हों तो उसके पिताके सपिण्डोंको मिलता है, देखो-केसरबाई बनाम हंसराज 33 I. A. 176; 30 Bom. 431, 10C. W. N. 8023 8 Bom. L. R. 446. दफा ७६९ मदरास स्कूल मदरास स्कूल में स्मृतिचन्द्रिका सर्वोपरि माना जाता है, उसके साथ साथ पराशर माधव । इन ग्रन्थोंके अलावा सरस्वतीबिलास और व्यवहार निर्णय भी माना जाता है देखो दफा २३-४ । स्मृतिचन्द्रिकाने 'स्त्रीधम' शब्द को पारिभाषिक माना है। किसी रिश्तेदारने या किसी दूसरे आदमीने किसी भी समयमें जो कुछ धन स्त्रीको दियाहो और विवाहाग्निके समय तथा परात के उत्सवमें जो कुछ धन मिला हो सब स्त्रीधन है स्त्रीधन चार किस्मका माना गया है (१) शुल्क, (२) यौतक, (३) भर्तृदत्त और अन्वाधेय (४) दूसरे प्रकार के स्त्रीधन । स्मृति चन्द्रिकाके अनुसार विवाहित स्त्रीके स्त्रीधनकी बरामत इस प्रकार होती है:___(१) शुल्क-माके होते सगे भाइयों को मिलता है शेष मिताक्षराके अनुसार देखो दफा ७६५. . (२) यौतक-यौतक स्त्रीधन पहिले क्वारी लड़कियोंको मिलता है उसके पश्चात् मिताक्षराके अनुसार क्रम चलता है देखो दफा ७६५. (३) भर्तदत्त और अन्वाध्येयिक-अन्वाध्येयिक और भर्तृवत्त स्त्रीधन की घरासत मयूखके अनुसार होती है मेद सिर्फ यह है कि विधवा लड़कियां ऐसे धनकी वारिस नहीं होती, और गोत्रज सपिण्डोंकी विधवाओंका भी वैसा कोई हक नहीं होता जैसाकि बम्बई में होता है, देखो-थाया अम्मल बनाम अन्नामालाई मुदाली 19 Mad. 35. बंडमसेठा बनाम बंडंमहालक्ष्मी 4 Mad. H. C. 180. (४) दुसरे प्रकारके स्त्रीधन-दूसरी तरहके जो स्त्रीधन हैं वह पहिले क्वारी लड़कियोंको और उन लड़कियोंको जो गरीब हो साथमें बराबर मिलता है उसके पश्चात मिताक्षराके अनुसार वरासत होगी। मदरासमें गोत्रज सपिण्डोंकी विधवायें वारिस नहीं होती इसलिये न तो भाईकी विधवा और न पुत्रकी स्त्री वारिस हो सकती है, देखो-19Mad. 35; 4 Mad. H. C. 180.
SR No.032127
Book TitleHindu Law
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrashekhar Shukla
PublisherChandrashekhar Shukla
Publication Year
Total Pages1182
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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