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________________ धणवालकया भविसयत्तकहा जिणसासणि सातु णिहुअपावकलंकमलु। सम्मेत्तविसेसु निसुणहुँ सुर्यपंचमिहि फलु ॥ पणविप्पिणु जिणु तइलोयबंधु दुत्तरतरभवणिब्बूढखंधु । भव्वयणवयणपंकयपयंगु कयकसणमोहतिमिरोहभंगु । णीसेसभरियभुवणंतरालु उक्खयदुक्कम्मतरुमूलजालु । अविसाउ अराउ अकोउहल्ल कंदप्पदप्पदलणेक्कमल्ल । संसारसमुहुत्तरणसेउ अविरोहु अलोहु अणावलेउ । परमेसरु परमगुणप्पहाणु संपत्तु परमणिव्वुइनिहाणु । अरहंतु अणंतु महंतु संतु सिउ संकतु सुहुमु अणाइवंतु । परमप्पउ पहु पंडिउ महत्थु परेमिढि परमकारणकयत्थु । घत्ता । सो हियइ धरेवि पवरमहासिरिकुलहरहो। वित्थारमि लोइ कित्तणु भविसणरहिवहो ॥१॥ बुहयण संभालमि तुम्ह तेत्थु हउं मंदबुद्धि णिग्गुणु णिरत्थु । मोहंधयारि वामोहमूंढ दुग्घरवावारे कारि छूढु। किं करमि खीणविहवप्पहाए नउ लहमि सोह सजणसहाए। अह णिडणु जणु सोहइ ण कोइ धणुसंपय विणु पुण्णहिं ण होइ। विणु ताएं जइ नणि अप्पमाणु कहमुवमि तोवि पुरिसाहिमाणु । वरि करमि किंपि" णियमइवियासु कम्मक्खयाई सुविसुद्धलेसु। जसु जित्तिउ बुद्धिवियासु होइ सो तितिउ पयडइ मच्चलोइ। पिक्खिवि अइरावउ गुलगुलंतु किं इयरहत्थि मा मउ करंतु । १ B सारु २ A सुव० ३ B पणवेप्पिणु ४ B corrected into तमतिमिरभंगु ५ B परमे ढि ६ B महाणरहो ७ A च्छूटु ८ A कयारिच्छूढ ९ B विहवप्पहाई १० B सहाई ११B कंपि १२ B तित्तउ
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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