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________________ 99 6 सोवरण for सो वरण XVII 6 फुलिंदुग्गिलन्तो(?)for हविं दुग्गिलन्तो XIII 4 जस्स माणं , उस्समाणं 7 करालुग्गदादो , करातुंगदाढो SANDHI V 8 पइटोसि तं , पइड्रो सितं II 9 सप्परिवार , सम्परिवाउ | XVIII 1 अग्गिफुलिंद दिंतु, अग्गिफुलिंददिंतु III 7 चरितकुलकमजुत्ति , चरितकुलकमजुत्तु 5 ढंढ वालभड भोइय , ढंढवाल भडभोइय IV 6गड , गयउ. य is me- AAI तुम्हहाम " तुम्हहार्म 11 हरियंदणचचंकिय ., हरियंदण चचं किय trically redundant. मंड जणेरिहिं .. मंडजणेरिहि |XXII 4देवि विवइसणाहहो,, देविवि हूइ सणाहहो 7 गिरिमयणाय , गिरिमयणायर SANDHI VI The r is metrically useless; I 5 महण्णवि खित्ती , महण्णविखित्ती and 77019 is the name occur. अविभो० , सुअविओइ० ring everywhere else. II 1 अजिय गण , अजियगण. VIII9 विंधणसील जुवाण, विंधणसीलजुवाण. 4 चंचलजीवलोई , चंचलजीव लोई . 1 रतुष्पलदल० , उप्पलदल. 6 मंछुडु " में छुडु which lacks one syllable me- 9 एमगइ वि , एम गइवि trically. III 7 सोवाणपंति कय मोक्खहो , सोवाणIX 2 मि ज्झीणपरिवासई , मिज्झीणपरिवासई पंतिकयमोक्खहो ___11 सरलंगुलि सुरेह कोम- सरलंगुलिउरेहकोम- IV 1 तंवतन्हई , तव तन्हई लकर लकर चउत्थि-अवरन्हई, चउत्थिा वरन्हई संझावयव , संझावय व V3 पंचपयारु नह तंबिर , नहतंविर ___ 10 कर मउलि . 10 किउअ-पमाण-णिउत्तु,, किउ अपमाणु णिउत्तु | VI 1 हियत्थि x8 ०दसणायामविहोएं,, ०दसणायामविओहिं 5 सासणभत्ती , सासणिभत्ती मइमोहें , मइमोहि, 11 सिवसासयसह० , सिव सासयसह० - 9 परमत्यु , परइत्यु VII 3 बहुदुक्ख जणेरी ,, बहुदुक्खजणेरी XI 1 करिणि व रोह० , करिणिवरोह. VIII 7 थिय मुणिवयण , थियमुणिवयण. 2 पिहियसिंगारि , पिहिय सिंगारि. XI 8 संभरिउ , संचरित 7 कमलमहासिरिआयउ , कमलमहासिरि XIII 10 गिरिमयणायदीवि,, गिरिमयणायरदीवि XIV 14निरु XIII4 दलवद्विवि , दल वहिवि XV 2 मुहिबंधवलोएं , सुहि बंधवलोएं XIV 5 दीविंदीउ , दीविं दीउ 9 रयणपुंजपुंजई , रयणपुंज पुंजई 10 सज्झसि विगयाई, सज्झसिवि गयाई XVI20 जयकारिवि , जय कारिवि XVI 5 थक्कइ ताम विहुरु पव्वजिउ , ताम थका विहरू पवजिउ. The line as it is, XVI 2 देवि तूल , देवितूल is metrically very faulty. XVII 8 वणि वइसवणरिडि,, बणिवइ स वरिद्धि The readjustment removes 11 नायमुह सिजई , नायमुसिज्जई all the flaws. XVIII 2 अच्छहिं , अच्छमि 7 नियवि किउ , नियविकिर विजाहरकीलहं ,विजाहर कीलई -8 मंभीसिय , मं भीसिय 5 सहनिव्वुइ , सहि निव्वुइ , पंच पयार , करमउलि , हियति " नितु
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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