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________________ भविसयत्तकहाए । अणसणमरण मरिवि तवतत्तउ दसमहं देवलोई संपत्तउ । पंक सिरि पहचूलु पवित्तिय भविसवि रयणचूलु परियत्तिय । बिन्निव नवजुवाणसियभूसिय बिन्निवि सोलह आहरणविहसिय । बिन्निवि अवलोयंति परोप्यरु बिहिंमि सरिउ नियपुत्र्वभवंतरु | तुहुं कमलसिरि अन्नजम्मंतरि हउं भविसाणुरूव नरवर घरि । अन्नुवि भविसयत्तु इह एसइ तिहिंमि संगु समवाएं होसइ । धत्ता । चिरु अम्हसमाणु सयणिहिं जेहि न लयउ तउ । १४६ तह तेमई तं जि मणुअजंमु अकयत्थु गउ ॥ ४ ॥ भविसयत्तु चिरु करेवि महातउ अणसणि मरिवि विहियरयणत्तउ । तहिं जि विमाणि पत्तु सुहदंसणु तिहिंमि सणेहिं किउ संभासणु । नरवइभविसयत्तु तुहुं होंतउ कुरुजंगल गयउरु भुंजंतउ । विमलमुणिदहो तलिणिक्खंकिउ मरिवि इत्थु देवत्तणु पत्तउ । जंपइ सोवि आसि मणमोहणि एक जणणि अन्नेक सुगेहिणि । तुम्हई नवर अहियववसाइय जं तियलिंगु हणेविणु आइय । अजवि सा सुमित्त तहिं अच्छइ सुप्पहु रज्ज करइ पहुपच्छइ । तहिं जाइवि उपायहं विभउ पिक्खहं चिरपरियणु सुहिबंधउ | धत्ता । अवयरिवि जुआई पिक्खिवि वयणई सज्जनहं । कुलि कील करेवि पच्छइ मेरुपयाहिणहं ॥ ५ ॥ तिन्निव करिव पयाहिण मंदिर लीलई परिभमंति भुवणंतरि । गयउरि नियताणु निरिक्खिवि जे जियंति तहो वयणई पिक्खिवि । तिलयदीवि चंदप्पह भमियई जहिं वरनयरि आसि चिरु रमियई । पुणुवि तेण विवरिं नीसरियई पुणरवि लयमंडवि संचरियई । तं भविसत्तहो भवणि पट्टई पुणरवि ताइं नियाणई दिई । जोइवि असणिवेउ पिउ जंपिउ सहुं कन्नइ पुरु जेण समप्पिउ । पुणरवि माणिभद्दु सम्माणिउं गयउरि जेण विमाणि आणिउं । विज्जुप्पहु जोएविणु हरिसिय अक्खरपंति जेण चिरु दरसिय । मणवे हो मुहपंक चाहिउ सयलुवि पुव्वभवंतरु साहिउ । परिसक्किवि अन्नइंमि सुखेत्तरं केवलजम्मणनिव्वमेत्तई । एम ताइ तर्हि चिरु विलसेप्पिणु सोलह सायराई निवसेप्पिणु । जाम पुणुवि हिंडंति महायलि पइसहिं पुणुवि जाम कुरुजंगलि |
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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