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________________ १४० भविसयत्तकहाए। धणवइ अवलोयइ निययजाउ पंकयसिरि चिंतइ चिरपमाउ । थिउ राउ परमकारणवियप्पु परिगलियविहवमाहप्पुदप्पु । भाविवि अणिचु चंचलविहोउ तक्खणि ओसारिउ सयलु लोउ । पय धरिवि नवर विन्नवइ साहु मई पत्तु भडारा परमलाहु । सकियत्थु एक्कु पर नंदिमित्तु तउ करेवि सुरालउ जेण पत्तु। जइ हउंमि तेण सहुं तउ करंतु तो किं असमाहिए सहुँ मरंतु । लइ अज्जुवि किजइ अंतसह जं वलिवि लईजइ तं न नह। अपरिग्गहु परिवज्जियपमाउ करि सामिय महु दिक्खापसाउ। धत्ता । उद्धरहि पडंतु एवहिं तुम्ह पायसरणु। धणमित्तहो जेम जाम न ढुक्कइ तं मरणु ॥१॥ अह एउ जि निच्छउ कयपयत्थु लइ जामि निहेलणु गुरु नमोत्थु । विहरिव्वउ नउ तुम्हहमि ताम हउं सुअहं समप्पणु करमि जाम । नीसेसु परिग्गहु परिहरेमि जं जासु जोग्गु तं तासु देमि । आसीस देवि पडिवन्न तेहिं उहिउ उटुंतहं भडसएहिं । जोइउ सामंतिहिं वरभडेहिं मंतणउं जाउ नियनियथडेहिं । अहो वइ खणु परियत्तु कालु पावज्जपमुहं थिउ पिहिमिपालु । राणउं गयउरि मुप्पहु कुमारु होसइ नवल्लु परिवारचारु । अन्नेकु भणइं धरणिंदु राउ दुखर दुसील दूसहसहाउ। सुप्पहु राणउं अच्छइ न ताम रणि हिंडिवि कुलखउ किउ न जाम । धत्ता । अन्निकिं वुत्तु सुप्पहु समसंजायबलि।। को चवइ विसुत्तु तिन्नि सहोयर जासु तलि ॥२॥ को जोहइ रणि सुप्पहु कुमार अप्पणउं जासु परिवारु चारु। सोमप्पहु जासु महाविहेउ सूरप्पहु सूरसमाणतेउ । कणयप्पहु दूसहु कणयदंडु जसु सालयसाहणु रणि पयंडु। ति सहुं दरिसंतहं भडवमाल पर होइ सवक्खहो पलयकालु। अवरुप्परु सुहड चवंति जाम नरवइ मंदिरि संपत्तु ताम । थोअंतरि सुहसंजमनिओउ थिउ दाराविक्खणि भवियलोउ । मुणि विमलबुद्धिचरियई पइट्ट सुसमाहिए भवियायणिण दिट्ट। नरनाहु निहालइ नियदुवारु उवसंतु निराउहु सपरिवारु । जे थिय ते राउ पइट लेवि अन्नेक ठंति अन्नहं भमेवि ।
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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