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________________ भविसयत्तकहा कहिंमि को वि कामि न पयासइ थिय भोयणु परिहरिषि महासह । अम्हई दुक्खु दुक्खु तन्होविय ओसहमित गासु गिन्हाविये । . आविणु सुहियणहिं दक्खिय कन्नकुमारि भणिवि जणि अक्खिय | पइसारि घरि गरुयविहोएं थिय संघट्टु करिवि पइसोएं | गंभीरत्तणेण नउ अक्खड़ पइहरि कुलहो कलंकर रक्खइ । एव ंतरेण जा अच्छइ सा जि एहु परिणेवइ वंछइ । सहिं तह विवाह पारंभिउ एत्थंतरि एरिसउ वियंभिउ । तिलमित्व जइ अलियउ आयहो तो अम्हई मिच्छित्तपरायहो । निसुणेविणु वणिउत्तहो वयणई थियई कन्न झंपिवि सुहिसयण | ass गरुआ नरिंदहो जोइउ समुहुं कुरुडभडविंदहो । ओसारेवि बेवि दुबंधहो अणुहवंतु फलु दुन्नयरंधहो । घत्ता । गयउरु सविलक्खु अंसुजलोल्लियलोयणई । सुहिसयणसएहिं घरि घरि कियई अभोयणई ॥ १६ ॥ घरि घरि हट्टि हट्टि जणु जूरिउ भग्ग मडप्फरु हियइ विसूरिउ | हा विहि जाउ मुटु विच्छायउ जं जम्महोवि न केणवि नायउ । जो राउल पुरपउरे महायउ तासु मलित्तु केम घरि आयउ । जंपइ कोविन एयहो अग्गे एउ सव्वु दुप्पुत्तहो सग्गें । कोवि वह परिवडियखेरउ एउ पवंचु सख्वहिकेरउ । भविसयत्तु बुल्लाविराएं सहुं माणि वड्डियअणुराएं । करहि किंपि जं जुज्जइ आयहं दुन्नयदोसविडंबिय कायहं । तं निसुणेविणु वृत्त कुमारिं इउ लज्जावणिज्जु अइयारिं । अह अहहंमि एड किं जुज्जइ जं इउ एवडुंतरु किज्जइ । घत्ता । असमंजसु कज्जु एहउ किंपि समावडइ । ७६ जं थोइलयंपि दुत्तरि दुप्पवंसि पडइ ॥ १७ ॥ मणमलित्तु किं कासुव भावइ अह पुव्वक्किउ कम्मु करावइ । जामहिं कज्जु दुसंकडि आवइ तामहिं सुअणत्तणु न पहावइ । दुक्करु कज्जाकज्जुवियारहं राउलु दप्पसाडु दुव्वारहं । जं पहुपुरउ वियारि न भंजइ तं इहरत्ति परत्तिवि छिज्जइ । १ B संताविय २ B गाहायिय ३ B किज्जइ
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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