SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भविसयत्तकहाए तो पियसुंदरीहिं अवलोइवि थिय नियदुहियहिं वयणु पलोइवि । घता । तहिं काले सुमित्त राएं तासु परिदृविय । सम्माणिवि लोय नियनियनिलयहं पट्टविय ॥ १० ॥ धणवइ बंधुअत्त रक्खाविय जणि गरुयावराह लक्खाविय । मंदिरि कडयमुद्द संचारिय विहडप्फड सरुव ओसारिय । भविसहो सयणविंदि दिहि दरिसिविपरमुच्छविघणु हियई पवरिसिवि। राएं पउरुपमुहुं बोल्लाविउ तुह्महं ऐउ कज्जु संभाविउ । एहु सिट्टि पुरपउरि महंतरि आयउ चोरु छुहिवि कक्खंतरि । दिदु तुह्मि धिट्टत्तणु आयहो तंपि करेवि चडिउ परिछेयहो । मंडिवि अंगु अतुलु भयभीसहो दरिसिय विहिमि संधि नियसीसहो। एवहिं थिय अवहेरि करेविणु जं किजइ तं भणह मिलेविणु। घत्ता । तो भणिउं समूहु सिरु विहुणई घुम्मई चवइ । अहो देखहो तुम्हि कम्महंतणिय विचित्तगइ ॥११॥ तो कारणु परिचिंतिवि भारिउ मइवंतेहिं समुहं ओसारिउ । करह वयणु समवायसमुच्चइ एहई कालि काइं पहु वुच्चई। जंपइ कोवि पुराइयकम्महु अइयारिं पहु जाउ परम्मुहु । भविसयत्तु अहिएं सम्माणिउंसिटिवि छायाभंगहो आणिउं । कोवि भणइं अवियाणियखत्तें अहु अजुत्तु कीयउ वधुयत्तें । परिण विढत्तु हरेवि असारउ किम वुच्चइ धणु एहु महारउ । अन्ने वुत्तु पउरमाहप्पें अईकम्महो किर काई वियप्पें । एवहिं वयणु किंपि तं वुचइ जेण सिहि सहुं पुत्तिं मुच्चइ । घत्ता । परिचिंतिवि कज्जु एकायारु करेवि लहु। पडिगाहिवि सिटि पुणु पउरिं विनत्तु पहु ॥१२॥ थाइवि परपमुहं पडिजंपइ देव देव पउरिं विन्नप्पइ । धणवइ कुरुजंगलि विपहाणउं तउ घरि सुट्ठ समुन्नयमाणउँ । सो अन्नायकारि जं वुच्चइ तं पउरहो न मणाउ वि रुचइ । जह अन्नाउ तासु मणि भावइ ता किं पुर पउरहो वि पहावइ । एक सरीरु बिभायहि हुत्तउ तिहिंमि ताहं सामन्नु विढत्तउ। बंधुयत्तु चोरत्तणु पावइ जइ अन्नहो धणु लेविणु आवइ । १ B एक २ B अर्कतहो ३ B तिभायविहित्तउ
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy