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________________ नवमो सन्धी। भणई सवत्ति काई तहो दीसइ नउ आलवणु करइ नउ वियसइ । सा केणवि माणुसिण न कुप्पइ जइ परचारु लहइ तह जंपइ । तं निमुणेवि वयणु विहसंती वहुअहिं समुहं चलिय मल्हंती। ताएं जि दूरहो जि परियाणिय दिव्वाहरणविसेसिं जाणिय । उट्ठिय समुहुं करिवि पणवाइउ पुच्छिय तुडु पुत्तु किं आयउ । घत्ता । परिहासई ताहिं करिवि सन्न हियवउ भरिउ । पुणु वालिवि दिट्टि बद्धमुट्ठि पच्छन्नु किउ ॥ २० ॥ तं निसुणिवि जुवईयणु हल्लिउ किउ विभउ अवरुप्परु बोल्लिउ । भणई सरुव एउ तउ सिद्धउ जं किउ वयणु पणामसमिद्धउ । जंपइ कावि अयाणियकरणिं तोसिय वहु अनवल्लाहरणिं । अन्नई वुत्तु जाउ निरु चंगउ जं परिओसिउ वहुअहिं अंगउ । अन्न भणई उच्छविण बहुत्तिं आयरु तिल्लि करहु सुमुहुत्तिं । अन्नहिं समुहु समासिउ मुद्धइ किं किजइ विग्गोवउ सुडइ । ताइंवि पंगुरणहो असंतरि लाइउ तिल्ल हसिवि चित्तंतरि । अन्निं तहिं पंगुरणु विवत्तिउ दिट्टउ चिरु कररहवणपंतिउ । अन्नई अहरउ नयणकडक्खिउ अन्निंवि हसिवि अन्नहो अक्खिउ । अन्नई वुत्तु निहालिवि अंगउ आयहो कहिंमि तिल्लु चिरु लग्गउ । घत्ता । मुहि अंचलु देवि हसइ समुभडु तरुणियणु । लइ लायहो तिल्लु बालहिं उभंखरिउ तणु ॥ २१॥ . अन्न भणइं मं हसह वराई में कुण मचइ सुत्त वराई । अन्न भणई नियकवविहुल्ली विणु सुत्तिं किय गलि कंचुल्ली । अन्न भणइ मं करह विहासई को जाणई विएसपरिहासई । मंछुड्ड तहिं दीवंतरनारिहु सव्वहु एहावत्थकुमारिहु । अन्न भणई पच्छन्न समारहु उब्भडवयणवासु अवहारहु । तं निसुणेवि बहुग्गुणसुअइहिं किउ पच्छन्नु महंतरजुवइहिं । लाइउ तिल्लु सुमंगलसहि बहु संघट जुवइ आणंदि। गय कमलसिरि पासि नियपुत्तहो कहिउ सव्वु अणुराइयचित्तहो । एत्थंतरि नयविणयनिउत्तहो चिंतंतहु धणवइवणिउत्तहो ।
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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