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________________ नवमो सन्धी धत्ता । तो चिंतियमित्त विविहकिरणमणिवेयडिउ । उपमि विमाणु फरहरंतु गयणहो चडिउ ॥ ५ ॥ ass विमाणु यणि मणिजोएं जहिं सा तहो जणेरि सहुं सोएं। अच्छइ मरणपइज्जइं संठिय मुणिवरवयणाएसपरिट्ठिय । दियहई तीस गयई चिंतंतिए अणुदिणु पुत्तागमणु सरंतिए । आइय सियपंचमि वइसाहहो दरिसियपुज्जमहिम जिणनाहहो । सुव्वयकमलमहासिरि संतिउ रयणि गमंति बेवि जग्गतिउ । छुड्ड छुड्डु तइयउ पहरु समायउ कमलई छड्डिउ मणि उम्माहउ । दुहु वल्हविओइ अवहारिउ परलोयहो दिदु चित्तु समारिउ । मेउलि मुणिवयणो माहप्पिं खोहिय सुव्वयावि सवियपि । एतहिं मुणिवरवयणु न चुक्कइ एत्तहिं खलु अवसाणहो दुक्कइ । एह विसमकालि संपत्तइ सुहिसयणहं रणरणई महंतए । तो उज्जोउ करंतु नहंगणि झत्ति विमाणु पडिउ घरपंगणि । त्ता । तं पक्खिवि तित्थु नट्ठ लोय विंभयभरिय | ૬ पंकसरि सावि जिणु सुमरंति समोसरिय ॥ ६ ॥ घरपंगणि पंकयसिरि धावइ अज्जिय जिणवयणई परिभावइ । भविसयत्तु धणु घर संपेसइ माणिभद्दु पियवयणई भासइ । सुव्वय विहिंमि जाम नवकारिय तो सविलक्खई सन्न समारिय । हलि हलि कमलि कमलि किं धावहि पुत्तहो वयणु काईं न विहावहि । तं निसुणिवि रहसेण पधाइय हरिसिं निययसरीरि न माझ्य । सरहसु दिन्नु सणेहालिंगणु निवडिवि कम कमलहि थिउ नंदणु । मुहदंसणु अलहंतई नयणई अंसु मुआइयाइं जिह रयणई । लेवि सहत्थि स उट्ठाविउ नयणहिं मुहदंसणसुहु पाविउ । किर आसीस देइ सुवरिसिं ताम निरुद्धवाय अइहरिसिं । उच्चलिवि मुहकमलु निरंजइ सन्नई पवरासीस पउंजइ । निम्मच्छउं करिवि नियपुत्तहिं वहइ खीरु चउवीसहिं सुत्तहिं । सुहमंगलजलकुंभ सम्वारिय दहिदुच्वक्खय सिरि संचारिय । चंदणवंदणाई मंगलइ एम सइंमि कीयहं सुमहल्लई । भविसिं माणिभद्दु संभालिउ बहुपरिमलकुसुमहिं ओमालिउ । १ B मउलियमुहुं मुणिवरमाहप्पे
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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