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________________ छट्टो सन्धी दीसइ इक्कवार जो जेहउ आजम्मु वि सहाउ तसु तेहउ । परइत्तिउ जं पच्छुत्ताविउ दुम्मइदोसविडंबण पाविउ । अन्नुवि निंदिउ गरहिउ तेहउ एव्वहिं जम्मि वि न करइ एहउ । पञ्चेलिउ आयो पिउ बुच्चइ पुच्छाइयउ करेवि न मुच्चइ । जइ हम्मई दुव्वयणकरालिं तो एमहिं जि करइ जं कालिं । अह कुलमग्गविणासहं आयहं कवणु गहणु बेहु महंमि वरायहं । पिउ आयहि समाणु जं वुञ्चइ तं किर कुलमज्जाय न मुच्चइ । जइ पुणरवि ओसरइ पमायहो तो तं करमि जुत्तु जं आयहो । इत्थंतर सयल वि संपाइय न्हाइवि कमलमहासरि आइय । आएसिय कम्मर पधाइय इंधणसलिलसमुच्चइ लाइय | महिसारवियरविंदहिं अंचिय छडय पयन्न सुआसण संचिय । धत्ता । नवनेहरसाईं करिवि वयणसं भासणई । दलतुंगमयाई दिन्नई उच्च वरासाई ॥ २२ ॥ सयलवि विउ करिवि बइसारिय लहु च्छ्डर सरसोइ संचारिय | लइ वेल वित्थारि परियलु कणयथालु कञ्च्चोलसमुज्जलु । वड्ढि भोज्जु पउर पइसारउ सालिदालिसालणयपियारउ ।' लीलई भुतु विसेस विहोएं पुणु कप्पूरकरंबियतोएं । चुट्ठि रयणकणयभिंगारिहिं थिय तरुमूलजालि वित्थारिहिं । पुणु वणि घरविह दरिसाविय बहुमुल्लहं वत्थई पहिराविय । पिउ जंपिवि नयविणयकयत्यें दिन्नु घुसिणु तंबोलु सुहत्थें । धत्ता । तं पक्खिवि तित्थु सिरु विह्नणंति भांति नर । अहो देखो तुम्हि पुण्णहं तगडं पहाउ पर ॥ २३ ॥ बंधुअतु पणवंतु पपइ अहो अच्छरियं किन्न समप्पइ । अम्हई दीविं दीउ भमंता मुअ ववसायसयई चिंतंता । कहिंमि नाहिं एक्कवि लड - पाविउ पञ्चेल्लिउ नियमूल विलाविउ । तुहुं पुणु घल्लिउ इत्थु वणंतरि थिउ असहाउ दुपेच्छि दुसंचरि । हिम नाहिं कवि आवइ पत्तउ पचेलिउ हुउ बहुसियवंत । एत्थुवि वणि वित्त किम संपय किम सियवंत कंत सुंदरवय । gas पुव्वकिय सुहकम्मि भाइ सयलु संपज्जइ धम्मिं । १ A बहु बहुमि वरायहिं ४७
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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