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________________ भविसयत्तकहाए घत्ता । हा किं बहुवायावित्थरिण आएं दुहिण को ण भरिउ । तं केम पडीवउ संमिलइ जं खयकालिं अंतरिउ ॥९॥ एम दिहु तं पट्टणु बालें खयकालावसाणु णं कालें। लीलई परिसकंतु महाइउ जसहणरायदुवारु पराइउ । राउलु सीहदुवारहो पिक्खइ दरवियसंति णाई सविलक्खई। दिक्खइ णिग्गयाउ गयसालउ णं कुलतियउ विणासियसीलउ । पिक्खइ तुरयवलत्थपएसई पत्थणभंगाइ व विगयासई । पिक्खइ सहु पंगणउं विचित्तउ चिरचंदणच्छडकद्दमि लित्तउ । पिक्खइ कणयवीटु सिंहासणु छत्तु सचिंधु सचामरवासणु। णिप्पहु पहुपरिवारविवजिउ हसइ व णाई विलक्खु अलजिउ । मणिकंचणचामरई णियच्छइ चामरगाहिणीउ गउ पिच्छइ । घत्ता । सहमंडवि रायजसोहणहो पिक्खिवि परिसकंतु णरु । मुत्ताहलमालझुलुक्काहिं रुवइ व थोरंसुवहिं घरु ॥ १०॥ आउहसाल विसाल विसंतिं चित्त विचित्त परामरिसंतिं । अग्घाइउ सुअंधु मयपरिमलु णं पुवक्कियसुकियमहाफल । सोउ करिवि नवकमलदलच्छिए णं णीसासु मुक्कु घरलच्छिए । तूरभेरिदडिसंखसहासई वीणालावणिवंसविसेसई। जसहण सामिसाल अच्छंतए पुरपउरालंकारसमत्तई । एवहिं अम्हहिं को वजावइ थकई मउणु लएविणु णावइ । वहुविलासमंदिरई पईसिवि रइहरि भमिवि तवंगि बईसिवि । निग्गउ भविसयत्तु अविसण्णउ चंदप्पहजिणभवणु पवण्णउं । घत्ता । तं जिणभवणु णिएवि धवलुत्तुंगुविसालु। वियसियवयणुरविंदु मणि परिओसिउ बालु ॥ ११ ॥ दिट्ट जिणालउ भविसनरिंदि णं णंदीसरदीउ सुरिंदि। पवरारामगामपरियंचिउ इंदणरिंदसुरिंदहि अंचिउ । धवलुत्तुंगसिहरु सुविसालउ छणससिकंतकंतिसोमालउ । वरमणिकिरणकंतिसोहिल्लउ सई चित्तु व दिढबद्धकडिल्लउ । आगमजुत्तिपमाणविहंजिउ मणिमोत्तियपवालपहरंजिउ ।। बहुघणघुसिणपंकि पडियंकिउ सुहलक्खणलक्खणि चचंकिउ । १ B संगिला
SR No.032126
Book TitleBhavisayatta Kaha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKavi Dhanpal, C D Dalal
PublisherBaroda Central Library
Publication Year1923
Total Pages402
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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