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________________ में -साक्षी तुम्हें स्वयं बनाए रखे और प्रेम तुम्हें दूसरों से जोड़े रखे, तो तुमने जीवन का संतुलन पा लिया। तो तुमने संयम पा लिया। संयम मेरे लिए अर्थ रखता है संतुलन का भोगी को मैं संयमी नहीं कहता और त्यागी को भी संयमी नहीं कहता। भोगी एक तरह का असंयम कर रहा है- भोग की तरफ अतिशय झुक गया है। और त्यागी दूसरे तरह का असंयम कर रहा है—-त्याग की तरफ अतिशय से झुक गया है। त्याग और भोग के मध्य में, जहां विरोधों का मिलन होता है, जहां दिवस - रात्रि मिलते हैं, वहीं संयम है। निश्चित ही जब मैं प्रेम की बात करता हूं तो तुम्हारे प्रेम की बात नहीं कर रहा हूं, मेरे प्रेम की बात कर रहा हूं। उसे याद रखना, वह भूल न जाए। तुम्हारे प्रेम में तो सिवाय काटो के तुमने कुछ भी पाया नहीं है। ईर्ष्या, जलन और घृणा और द्वेष, स्पर्धा, संघर्ष, कलह । तुम्हारे प्रेम का स्वाद तो बड़ा कडुवा है। तुम्हारे प्रेम की बात नहीं कर रहा हूं। और तुम्हारे प्रेम में तो एक अनिवार्य बा है कि मूर्च्छा । तुम्हारा प्रेम तो बिना मूर्च्छित हुए हो ही नहीं सकता मेरे पास लोग आते हैं, वे कहते हैं कि अब हम क्या करें? अगर हम ध्यान में बहुत डूबते हैं, तो हमारा प्रेम टूटता है। जो प्रेम ध्यान में डूबने से टूट जाता हो, वह प्रेम नहीं है, वह मूर्च्छा थी । जो प्रेम ध्यान में डूबने से बढ़ता हो, वही प्रेम है। वह प्रेम की कसौटी है- जो ध्यान की कसौटी पर कस जाए। ध्यान जिसे तोड़ न पाए, वही प्रेम है, बढ़ाए, वही प्रेम है। क्या कभी तुम जान पाए जीत क्या है हार क्या है इस जरा-सी जिंदगी में जिंदगी का सार क्या है मिल गये जीवन डगर पर मनचले अनजान साथी दे दिया अंतर उन्हीं को बन गये वे पूज्य पाथी प्रीति कर ली पर न जाना प्रीति का आधार क्या है क्या कभी तुम जान पाए जीत क्या है हार क्या है भूल निज मंजिल गये तुम पग उन्हीं के संग बढ़ाए और उनकी अर्चना में रात-दिन तूने लगाए स्नेह की सौगात सारी उन सभी ने लूट खायी प्यार का देकर भुलावा राह भी तेरी भुलायी स्वप्न तक में यह न सोचा शांति का आगार क्या है क्या कभी तुम जान पाए जीत क्या है हार क्या है प्रीति कर ली पर न जाना प्रीति का आधार क्या है
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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