SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 390
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सीधी-सीधी बात है। बात इतनी है कि तुम परमात्मा हो। तुम परमात्मा होकर ही हो सकते हो। इसलिए सुननेमात्र से घटना घट जाएगी। फिर तम पछते हो कि इस महाघटना के लिए पूर्वभमिका के रूप में क्या तैयारी जरूरी है? तम मानोगे नहीं? बिना भमिका तैयार किये तम मानोगे नहीं? और भमिका की तैयारी ही तो कर रहे हो जन्मों -जन्मों से। भूमिका तैयार कहा हो पाती है? भूमिका अनावश्यक है। भूमिका को तैयार करने में ही तुम खोए जा रहे हो। तुम उस बात की तैयारी कर रहे हो जो मौजूद ही है। तुम उस बात को लाने की कोशिश कर रहे हो, जो आयी ही हई है। जिसको जीना शुरू करना है. उसे तुम खोज रहे हो। जो थाली सामने रखी है और भोजन शुरू करना है, उसके लिए तुम बाजारों-बाजारों में भटक रहे हो। पाकशास्त्रों में खोज कर रहे हो। भोजन तैयार है, भोजन सामने रखा है, कुछ भी नहीं करना है, लेकिन तुम्हारा मन मानने को राजी नहीं होता। कारण क्या है? ऐसा प्रश्न क्यूं उठता है? पूछा है स्वामी योग चेन्मय ने। ऐसा प्रश्न क्यूं उठता है? ऐसा प्रश्न इसलिए उठता है कि तुमको श्रवणमात्र से सत्य का बोध नहीं होता। तो तुम सोचते हो मन में कि जरूर कहीं कोई राज होगा। कहीं कोई पूर्वश्रइमका होगी जो मुझसे नहीं हो पा रही है। नहीं तो मुझे सुननेमात्र से क्यों नहीं हुआ तो अब अपने अहंकार को बचाने के लिए तुम तरकीबें खोजते हो। तुम सोचते हो, कोई पूर्वभूमिका होनी चाहिए, कोई छिपी बात होनी चाहिए। जनक ने कुछ तैयारी की होगी पहले और मैंने नहीं की, इतना ही फर्क है। फर्क तैयारी का नहीं है, फर्क होश का है। जनक ने होशपूर्वक सुना तुम बेहोशी में सुन रहे हो| जनक ने आंख खोलकर देखा, तुम आंख बंद करके देखने की कोशिश कर रहे हो। फर्क तैयारी का नहीं है, आंख तुम्हारे पास उतनी ही है जितनी जनक के पास। पलक उठाओ, तैयारी की बात मत पूछो। तैयारी की बात पूछी तो तुम फिर प्रयास में चले गये। फिर अनायास संबोधि न घट सकेगी। 'इस महाघटना के.....।' तुम इसको महाघटना क्यों कहते हो? इससे ज्यादा सीधी-साधी घटना क्या होगी? जो है, उसको जानने से सीधा-साधा क्या होगा? इसको महाघटना क्यों कहते हो? महाघटना कहने के पीछे कारण है। महाघटना कहकर तुम कहोगे, अगर अभी नहीं घट रही तो हमारा कोई कसूर थोड़े ही है, घटना इतनी महान है! होते -होते होगी। करते -करते घटेगी। श्रम करेंगे, जनम-जनम दौड़ेंगे-चलेंगे तब मंजिल आएगी। घटना ही इतनी महान है!! इससे तुम्हें दोहरे लाभ हैं, महाघटना कहने से। एक तो आज नहीं होती, तो तुम्हें पीड़ा नहीं होती। तुम कहते हो, आज हो ही नहीं सकती। तो कल तक सोने की सुविधा मिल जाती है। कल होगी तब देखेंगे। कल भी तुम इसको महाघटना कहोगे, परसों पर टाल दोगे। महाघटना कोई ऐसे थोडे ही घटती है! जनम-जनम श्रम करते हैं तब घटती है। जन्मों -जन्मों के श्रम का फल होती है। ऐसे थोडे ही घटती है! महाघटना कहकर तुमने एक तरकीब खोज ली ऊपर से तो ऐसा लगता है कि महाघटना कहकर तुमने बड़ी प्रशंसा की। लेकिन यह बात नहीं है, प्रशंसा नहीं है यह, यह तो इस घटना का अपमान
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy