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________________ नहीं हो सकता, बनावटी है। लेकिन मैं रहूंगा शाश्वत में शाश्वत की तरहा वह मुझसे भी पहले था, वह मेरे बाद भी रहेगा। जो मेरे जन्म के पहले था, वह मेरे जन्म के बाद भी रहेगा। जो जन्म के कारण निर्मित हुआ है, मौत के साथ समाप्त हो जाएगा। जैसे ही तुम्हें बोध होना शुरू होता है तुम अहंकार नहीं हो, तुम्हारा मैं भाव गिरता है, वैसे ही मृत्यु- भाव गिर जाता है। मृत्यु जहां गिरा, वहा सब गिरा । भय गिरा, मन गिरा । मन गिरा कि तुम जगे । और उस जागरण में जन कहते हैं कि न तो स्वप्न है, न सुषुप्ति, न जागरण । इतना तो क्या, तुरीय भी कहां है? इसका भी मुझे पता नहीं चलता है। - - भाव इस आखिरी वक्तव्य से कि तुरीय भी नहीं है, जनक ने कह दिया, साक्षीभाव परिपूर्ण हो गया। पूर्ण हो गया। 'अपनी महिमा में स्थित हुए मुझको कहां दूर और वहां समीप ? कहां बाह्य और कहां अंतस है ? कहां स्थूल, कहां सूक्ष्म है?' क्व दूर क्व समीप वा बाहय क्याभ्यंतरं क्व वा । क्व स्थूल क्व च वा सूक्ष्म स्वमहिम्नि स्थितस्य मे! अपने में आ गया, अपने घर आ गया, अपने केंद्र पर बैठ गया। अब कौन दूर, कौन पास ! दूर और पास का तो मतलब ही होता है, अन्य है। अब तो मैं बैठ गया अपने में और पाया कि मैं सर्व में बैठा हूं। स्व में बैठकर पाया कि सर्व हो गया हूं। अब कोई दूर नहीं, कोई पास नहीं, क्योंकि कोई दूसरा है ही नहीं। अनन्यभाव पैदा हुआ है। मैं ही हूं। 'अपनी महिमा में स्थित हुए मुझको कहां मृत्यु है अथवा कहां जीवन ? कहां लोक, कहां लौकिक व्यवहार ? कहां लय और कहां समाधि?' क्व मृत्युजार्वितं वा क्व लोका: क्यास्य क्व लौकिकम् । क्व लयः क्व समाधिर्वा स्वमहिम्नि स्थितस्य मे । अपने में विराजमान होकर अब न तो किसी में लय होना है, न कहीं समाधि लगानी है । क्योंकि कोई है ही नहीं जिसमें लय होना हो। कोई है ही नहीं जिसमें समाधिस्थ होना हो । न तो कुछ लोक है, न कुछ परलोक है। ये सारे द्वंद्व गये। ये सारे विभाजन गये। सब विभाजन भय के हैं। मृत्यु के कारण सब विभाजन हैं। अब तो जीवन भी नहीं है, मृत्यु भी नहीं है। और अंतिम सूत्र आज का 'आत्मा में विश्रांत हुए मुझको धर्म अर्थ और काम की कथा अलम् है, योग की कथा अलम् है और विज्ञान की कथा भी अलम् है।' अल त्रिवर्गकथया योगस्य कथयाप्यलम् । अर्ल विज्ञानकथया विश्रांतस्य ममात्मनि ।। अलम् शब्द का अर्थ होता है, हो गयी बात, पूर्ण हो गयी। आ गया पूर्ण विराम | दि एंड' । अलम् का अर्थ होता है, आखिरी बात आ गयी, आत्यंतिक । यहां कहानी पूरी होती है, अलम् का अर्थ होता
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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