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________________ धन्य। तुम्हारे पैदा होने से यह भारतभूमि धन्या तुम अगर रूस में पैदा होते तो रूस की भुमि धन्य होती। पक्का मानो! क्योंकि एक भी रूसी नहीं कहता कि भारतभूमि धन्य| तुम चीनी होते तो चीन। तुम जहां होते, तुम उसी को धन्य कहते।। तो खयाल रखना, यह भारत, यह हिंदू धर्म श्रेष्ठतम धर्म, यह तुम्हारी वजह से है। और वेद सबसे महान शास्त्र, यह तुम्हारी वजह से है-या कुरान, या बाइबल। और जब तुम घोषणा करते हो कि महावीर महान तीर्थंकर, तो तुम खयाल कर लेना, कोई आदमी जो जैन नहीं है ऐसा नहीं कहेगा। हिंदू कहेगा, कहां की बातें उठा रहे हो? महावीर? कृष्ण की कहो। मुसलमान हंसेगा, वह कहेगा महावीर? अरे मोहम्मद की बात करो! प्रत्येक अपने की घोषणा कर रहा है, क्योंकि अपने के माध्यम से अपनी घोषणा है। कहावत है न, कौन अपनी मां को असुंदर कहता? लेकिन घोषणा अपनी ही चल रही है। यह तुम्हारा स्वप्न तुम्हारे अहंकार का विस्तार है। इससे सावधान होना। स्वप्न ने बड़ी कृपा की कि तुम्हें चेताने की चेष्टा की है। जो स्वप्न में प्रगट हुआ है वह जाग्रत में भी तुम्हारे मन में होगा, तभी तो प्रगट हुआ है। न तो कोई युद्ध चल रहा है किसी के साथ कम से कम मेरा नहीं चल रहा है किसी के साथ कोई युद्ध। तुम्हारा शायद चल रहा हो। तुम मुझे बचाना| मैं तुम्हारे पीछे नहीं आ रहा हूं। मेरा किसी से कोई युद्ध नहीं चल रहा है। न कोई हार है, न कोई जीत है। लेकिन तुम्हारी अस्मितायें तुम्हें बहुत तरह की प्रवचनाओं में डालेंगी उनसे सावधान रहना जरूरी है। आखिरी प्रश्न : तीन साल की छोटी-सी अवधि में ही यह आश्रम अस्तित्व में आया, जहां से पूरी पृथ्वी पर धर्म की ज्योति फैल रही है। अभी धरती पर यह अपने ढंग का अकेला और अप्रतिम धर्मधाम है। और आप ही उसके सब कुछ हैं-जन्मदाता, निर्माता और संचालक। मुझे अक्सर आश्चर्य होता है कि निर्माण और व्यवस्था का यह विशाल कार्य कामना को बीच में लाये बिना ही कैसे संभव हुआ? न तो मैं जन्मदाता हूं,न निर्माता और न संचालक। तुम जानते हो, तेईस घंटे तो मैं
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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