SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 292
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तुमने खयाल किया, सभी लोग कहते हैं कि बचपन बड़ा सुंदर था। वे बचपन के दिन! मगर बचपन सुंदर? बच्चों से पूछो, तो बच्चे बहुत जल्दी बड़े होने में उत्सुक हैं बच्चे चाहते हैं, कैसे बड़े हो जाएं। कब छुटकारा मिले इस बचपन से। क्योंकि बच्चों को अनुभव होता है कि बचपन सिवाय दमन के, परतंत्रता के और क्या है? छोटा बच्चा मां से कहता है, जरा बाहर हो आऊं 1: मां कहती है, नहीं बाहर मत जाना। कोई बड़ी बात नहीं पूछी थी, बाहर धूप निकली है, सूरज निकला है, तितलियां उड़ रही हैं, बच्चे खेल रहे, वह बाहर जाना चाहता है, मां कहती है नहीं। इतनी भी स्वतंत्रता नहीं! बच्चा सोना नहीं चाहता अभी और मां कहती है, सो जाओ क्योंकि घर में मेहमान आए हुए हैं। अब नींद आ नहीं रही है, उसको जबरदस्ती बिस्तर में दबा दिया गया है। सुबह जब वह उठना नहीं चाहता और नींद आ रही है, तब उसे खींचा जा रहा है। स्कूल कौन बच्चा जाना चाहता है! उसे भेजा जा रहा है। और तुम इसको कहते हो कि बचपन के दिन बड़े सुंदर थे बच्चों से पूछो! बच्चे जल्दी बडे होना चाहते हैं, कैसे बड़े हो जाएं! एक छोटे बच्चे को उसकी मां पालक की सब्जी खिला रही है। और वह बच्चा रो रहा है। और उसकी आंख में आंसू बह रहे हैं और वह कह रहा है कि भगवान ने पालक में ही क्यों सब विटामिन रखे! आइसक्रीम में रखता तो क्या कोई खराबी थी? जब विटामिन ही रखने थे तो आइसक्रीम में रख देता। मगर उसकी मां कह रही है, बेटा, खा तो तू मजबूत हो जाएगा। तो वह कह रहा है, ठीक है, | लेता हं इसीलिए खा रहा हैं कि मजबत हो जाऊताकि कोई मझे फिर पालक न खिला सके। इतना मजबूत होना है कि पालक कोई फिर न खिला सके दुबारा। ___ बच्चे तो किसी तरह छुटकारा पाना चाहते हैं, कैसे छुटकारा हो इस कारागृह से। लेकिन बड़े यही बच्चे कहने लगते हैं कि बचपन के दिन बड़े सुंदर थे| हो क्या जाता है? आदमी अपने को धोखा देता है। जो है, वह तो सुंदर नहीं है। तो कहीं सांत्वना तो चाहिए। तो दो ही तरह की सांत्वनाएं हैं आदमी को-या तो पीछे कहो कि सुंदर था, या कहो आगे सुंदर हो जाएगा। आज तो सदा असुंदर है। अभी तो दुख ही दुख है। तो कहीं तो सुख चाहिए। झूठा ही सही, मगर कुछ तो ख्याल रहे कि हमने भी सुख पाया। तो पीछे सुख था, बचपन में सुख था, आगे सुख है। दुनिया में दो ही तरह के लोग हैं। और दो ही तरह के धर्म हैं। और दो ही तरह की समाज-विचार की परंपराएं हैं। हिंदू जैन, बौद्ध, वे सब कहते हैं कि स्वर्णयुग बीत चुका, सतयुग बीत चुका, पहले हो चुका, अब नहीं होनेवाला, अब तो दुख ही दुख है। कम्यूनिजम, फासिजम, इस तरह की धारणाएं कहती हैं, सतयुग आने वाला है, होनेवाला है, अभी हुआ नहीं। हिंदू कहते हैं, रामराज्य हो चुका। कम्यूनिस्ट कहते हैं, रामराज्य होने वाला है। अच्छी दुनिया आनेवाली है, उटोपिया अभी होगा। बस यह दो ही तरह की धारणाएं हैं। हिंदू? जैन, बौद्ध के हैं। बड़ी पुरानी धारणाएं हैं, ये की हो गयीं, ये पीछे देखती हैं। कम्यूनिजम अभी बच्चा है, अभी भविष्य में देख रहा है। मगर दोनों एक से भ्रांत हैं। क्योंकि कहीं भी तुम अपने सुख को रख लो अतीत में या भविष्य में तुम धोखा दे रहे हो। जीवन में जो कड़वाहट है, उससे बचो
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy