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________________ में क्या घटता है। लेकिन चौथे की अभी कोई भी खबर नहीं है। और उसी चौथे पर पूरब का सारा मनोविज्ञान खड़ा है। चौथे तक भी आना पड़ेगा पश्चिम को। पहले स्वप्नों को नहीं मानते थे, क्या रखा है स्वप्न में, फिर स्वप्न पर बड़ा मूल्य हुआ फिर सुषुप्ति की कोई चिंता नहीं थी, फ्रायड ने कोई फिकर नहीं की नींद की, सिर्फ स्वप्न तक रुका रहा, लेकिन अब मनोवैज्ञानिक नींद में जा रहे हैं। और इससे चौथी, तुरीय का अर्थ होता है - चौथी । उसको नाम नहीं दिया, क्योंकि वह अब आखिरी है, उसको क्या नाम देना। वह तो नाम के बाहर है। इन तीन के जो पार है वह चौथी। उस चौथी को समझ लें तो यह सूत्र समझ में आएगा। तुरीय का अर्थ होता है, इतने शात जैसे गहरी नींद में होते हैं, और इतने जाग्रत, जैसे भरे जागरण में होते हैं। यह विरोध का मिलन। ऐसे जाग्रत जैसे भर जागृति में होते हैं - कभी-कभी होता है। कोई आदमी तुम्हारी छाती पर एकदम छुरा लेकर आ गया, उस क्षण में क्षण भर को तुम जागते हो। प्रचंड जागरण होता है। एक क्षण को सब तंद्रा टूट जाती है। चले जा रहे थे रास्ते पर अपने विचार खो कि यह धंधा कर लें, कि वह धंधा कर लें, कि इतनी कमाई हो जाएगी, कि ऐसा मकान बना लेंगे, कि इस लड़की से शादी कर लेंगे, ऐसा कुछ चले जा रहे थे मन में अपना गणित बिठाते, शेखचिल्ली , एक आदमी एकदम छुरा लेकर आ गया। अब छुरा ऐसी बात है कि तीर की तरह तोड़ देगा सब सपने के जाल को। मौत सामने खड़ी है, अब कहां फुरसत किससे शादी करें, कौन-सी दुकान करें, कौन-सा धंधा चलाएं, कैसे पैसा कमाए, इधर मौत आ गयी, ये सब बातें एकदम बेमानी हो गयीं। और छुरा इतना प्रत्यक्ष सामने खड़ा है कि तुम एक क्षण को तो जागरूक हो ही जाओगे। इसलिए कभी-कभी खतरे में जागरण आता है। और इसीलिए खतरे में रस है । जो लोग पहाड़ पर चढ़ने जाते हैं हिमालय, उनका रस तुम जानते हो क्या है? रस यही है कि किसी समय रस्सी से झूलते हुए खाई खंदक के ऊपर प्राणों पर संकट होता है। जरा-सी चूक और गये। जरा-सा पैर चूका कि सदा के लिए खो गये। एक - एक सांस आखिरी मालूम होती है। उसी कारण एक बड़ा प्रकांड जागरण पैदा होता है। एक रस। वह समाधि का रस है, वह तुरीय का रस है । थोड़ा-सा, झलक मात्र। इसीलिए युद्ध के मैदान पर लोग ताजे हो जाते हैं। जहां मौत चारों तरफ बरसती हो । इसीलिए लोग कार तेजी से चलाते हैं, एक ऐसी सीमा आ जाती है- सौ मील प्रति घंटे जा रहे हैं, एक सौ दस मील, एक सौ बीस मील, अब ऐसी घड़ी आ गयी है जहां एक-एक क्षण खतरनाक है। जरा-सी चूक और गये। उस समय एक पुलक से प्राण भर जाता है, विचार सब बंद हो जाते हैं। इतने खतरे में विचार करने की सुविधा किसे हो सकती है? इसीलिए लोग खतरनाक खेल खेलते हैं। इसीलिए लोग जुए पर दाव लगाते हैं। सब लगा दिया दाव । एक जापानी अभिनेता ने करोड़ों डालर कमाए और जिंदगी के अंत में सारे रुपये ले जाकर इकट्ठे, एक बार फ्रांस में जुए पर दांव पर लगा दिये। जरा उसकी सोचो हालत ! सब इकट्ठा। या इस पार, या उस पार। बात ऐसी थी कि दूसरे दिन अखबारों में खबर छपी - क्योंकि वह हार गया कि उसने आत्महत्या कर ली। किसी दूसरे जापानी ने आत्महत्या कर ली थी एक होटल के ऊपर से कूदकर । अखबारों ने
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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