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________________ एक छोटे बच्चे ने सपना देखा कि पड़ोस के लड़के को एक चांटा मार दिया। तुम तो इसको मूल्य भी न दोगे। तुम तो हत्या करने को भी मूल्य नहीं देते। लेकिन इस आदिम कबीले के लोग उस बच्चे को कहेंगे, जाकर उस बच्चे से क्षमा मांगो कि भूल हो गयी। सपने में चांटा मारा! तो चाटा मारना तुम चाहते हो, इतना सिद्ध हुआ| जाकर क्षमा मांगो। क्षमा मांगने से ही नहीं चलेगा, क्योंकि चांटा तो लग गया, चोट तो हो गयी, कुछ भेंट भी ले जाओ। कुछ खिलौना ले जाओ, मिठाई ले जाओ, उसे देना और माफी मांगना और कहना कि बड़ी भूल हो गयी, सपने में चांटा मार दिया। छोटे बच्चे! छोटे बच्चों को तो सपने और जागरण में बहुत फर्क भी नहीं होता| छोटा बच्चा तो रात सपने में खिलौना खो जाता है तो सुबह रोता है, पूछता है, मेरा खिलौना कहां है? तुम समझाते हो कि सपना था, पागल! अभी बच्चे को सपने और सत्य में बहुत फासला नहीं है। इस बात को खयाल में लेना कि बच्चे को सपने और सत्य में बहुत फर्क नहीं है। संत को भी सपने और सत्य में बहुत फर्क नहीं रह जाता। इसीलिए तो संतों ने जगत को माया कहा है। जगत को सपना कहा है। जिसको तुम यथार्थ कहते हो उसको संत सपना कहते हैं। और बच्चा सपने को भी सच मान लेता है। संत और बच्चे में थोड़ा-सा फर्क है, जरा-सा फर्क है। बच्चा सपने को सच मान लेता है। संत सपने को तो सच मानता ही नहीं, सच को भी सपना जान लेता है। मगर दोनों में कुछ तालमेल है। इसलिए जीसस ठीक कहते हैं, मेरे प्रभु के राज्य में वे ही प्रवेश करेंगे जो छोटे की भांति सरल हैं। इसलिए अष्टावक्र बार-बार दोहराते हैं, बालवत जो हो गया, वही परमज्ञानी है। ये दूसरे छोर से बालवत हो जाना है। सपना तो सपना हो ही गया, यह जिसको तुम जाग्रत फैलाव कहते यथार्थ का, वस्तु -जगत, यह भी स्वन्नवत हो गया। इस छोटे कबीले में बच्चों को बचपन से ही एक बात सिखायी जाती है कि सपने में भी भूल हो गयी तो भूल हो गयी। अब तुम सोचो, जो सपने में भी भूल करने में धीरे - धीरे जागने लगते हैं, उनसे
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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