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________________ से लाया जाए वह सुंदर नहीं है। तो मैं तुमसे कहूंगा जल्दी न करो, चेष्टा न करो, लोभ न करो। अभी संसार में शायद थोड़ा राग-रंग बाकी है, उसे भी देख लो। और उसमें उतर जाओ, और थोड़े दिन सही। समय बहुत पड़ा है। इस देश में हमने समय की कमी नहीं मानी है। पश्चिम में समय कम है। क्योंकि एक ही जीवन है। जन्म और मृत्यु, सत्तर साल, सब समाप्त। फिर कुछ नहीं। कर लो तो कर लो, गये तो गये। इस देश में इतनी कंजूसी नहीं है, हमने खूब लंबा समय माना है-जनम-जनम। अनंतकाल तक। कोई जल्दी नहीं है। इसीलिए तो हड़बड़ाहट नहीं है पूरब में। इसीलिए तो घड़ी पर इतना आग्रह नहीं है। घड़ी पूरब में पैदा ही नहीं हो सकती थी, वह पश्चिम की पैदाइश है। घड़ी को पैदा करने के लिए ईसाई चाहिए, हिंदू पैदा नहीं कर सकते घड़ी। इसलिए हिंदू का कोई भरोसा नहीं है। कहता है आ जाएंगे पांच बजे, पता नहीं आए न आए, पांच बजे आए कि सात बजे आए, कि कल आए, कि आज आए, कि परसों आए, कुछ पक्का नहीं। और तुम यह मत समझना कि वह तुम्हें धोखा देता है, उसे समय का बोध नहीं। उसकी धारा नहीं समय की। वह कहता है, क्या फर्क पड़ता है? मेरे एक मित्र हैं, बड़े राजनेता हैं। ट्रेन जाते हैं पकडने तो एक घंटा पहले पहुंच जाते हैं। एक दफे मैं उनके घर मेहमान और मेरे साथ उनको भी यात्रा करनी, तो वह मुझे भी घसीटने लगे। मैंने उनसे पूछा कि भई, दो मिनट का फासला है यहां से स्टेशन का, अभी तो घंटे भर वहां बैठकर क्या करेंगे? और मैंने कहा कोई ट्रेन पहले तो आने वाली नहीं, देर से भले आए! मगर वे बोले कि नहीं, मेरी तो आदत ही यही है। इसमें निश्चितता रहती है। मालूम है कि ट्रेन तीन बजे आएगी, वह दो बजे मुझे जाकर स्टेशन पर बिठा दिये। बैठे हैं! मगर अब वह प्रसन्न हैं। उनके घर मैं एक दफे मेहमान था। रात मुझे कोई चार बजे सुबह ट्रेन पकड़नी थी। तो उन्होंने अपने एक ड्राइवर को कह दिया कि तू यहीं सो जाना। अपने तागेवाले को कह दिया कि तू भी यहीं सो जाना। और पड़ोस के एक रिक्योवाले को भी बुलवाकर कह दिया। और अपने एक आदमी को भी कह दिया कि अगर कोई न आए तो तू सामान लेकर स्टेशन पहुंचा देना चाहे पैदल ही जाना पड़े, क्योंकि उनको जाना जरूरी है। मैंने उनसे पूछा कि मैं अकेला आदमी और चार इंतजाम! उन्होंने कहा, चार में से एक भी आ जाए मौके पर तो बहुत किसी का कोई पक्का भरोसा थोड़े ही है यहां! यहां चार इंतजाम करो तो शायद एक, वह भी शायद। और यही हुआ। एक भी नहीं हुआ| जब चार बजे मैं उठा तो कोई नहीं। उनको जाकर मैंने उठाया तब वह भागे, दौड- धाप की। ड्राइवर शराब पी गया। वह आया ही नहीं। वे खुद ही मुझे लेकर स्टेशन पहुंचे। उन्होंने मुझसे कहा, देखा? इधर कुछ भरोसा नहीं। और इसीलिए मैं एक घंटा पहले पहुंच जाता हूं ट्रेन पर इधर कुछ भरोसा ही नहीं। किसी बात का कोई भरोसा नहीं। __ कारण है! समय का बोध नहीं। समय की कोई जल्दी नहीं। आज हो गया तो ठीक, कल हो गया तो ठीक, परसों हो गया तो भी ठीक और नहीं हुआ, तो भी कुछ हर्जा नहीं। तुम जल्दी मत करो। तुम जीवन में जहां हो, उसे ठीक से समझ लो और जी लो। उसका स्वाद
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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