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________________ क्यों? यह कोशिश क्यों है समझाने की? क्योंकि क्रोध का मतलब है कि तुम पर हुए यह बात अहंकार को चोट देती है कि मैं और पशु जैसा व्यवहार किया? तो हम लीपापोती करते हैं, समझाने की कोशिश करते हैं कि क्रोध नहीं किया। यह तो ऐसे ही दिखावा था; कि ऐसे ही खेल-खेल में कर लिया, कि यह तो उसके ही हित के लिए किया था। वह मेरा बेटा है, अगर उसको न मारता चांटा तो वह बिगड़ जाता। तुम्हारे बाप भी तुमको मारे, न तुम बचे बिगड़ने से, न तुम्हारा बेटा बचनेवाला है, न तुम्हारे बाप बचे थे। कोई भी नहीं बचता। मुल्ला नसरुद्दीन ने अपने बेटे को बड़े जोर से चांटा मारा। बेटा खड़ा रहा, उसने कहा, 'एक बात पूछनी है पिताजी -उसकी आंख से आंसू बह रहे हैं कि आपके पिता भी आपको इसी तरह मारते थे?' उसने कहा, 'ही, मारते थे।' ' और उनके पिता भी उनको इसी तरह मारते थे?' उसने कहा, 'हौ उनको भी मारते थे।' ' और उनके पिता?' तो मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा, 'मुझे पता तो नहीं लेकिन मारते रहे होंगे।' 'और उनके पिता?' तो उसने कहा, 'मतलब क्या है तेरा? अरे सभी पिता मारते रहे हैं।' तो उस बेटे ने कहा, 'पिताजी, इतनी सदियों से यह क्रूर व्यवहार चल रहा है, अब समय हो गया कि बंद किया जाये। और इससे सार क्या हुआ? सदियों सदियों से आप कहते हैं कि पिता मारते रहे मारते रहे, बेटे पिटते रहे और बेटे फिर बेटों को पीटते रहे, यह चलता रहा और कुछ फर्क तो हुआ नहीं। सब वैसा का वैसा है। तो अब समय आ गया कि जो सदा से चली आई धारा है, अब तोड़ो।' बात तो ठीक कह रहा है बेटा। न तुम्हारे पिता तुम्हें रोक सके, न तुम अपने बेटे को रोक सकोगे। न तुम्हारे पिता तुम्हें रोकने के लिए मार रहे थे न तुम रोकने के लिए मार रहे हो। रोकने के लिए मार रहे हो यह तो व्याख्या है एक पाशविक व्यवहार की, जिसको तुम करने से नहीं रुक पा रहे हो। उस पशुता को छिपाने के लिए यह आवरण है, मुखौटा है। तुम एक सुंदर बात कह रहे हो एक असुंदर बात को छिपा लेने के लिए। तुम कीटों के ऊपर फूल रख रहे ताकि काटे दिखाई न पड़े। यह मलहम-पट्टी है। यह कोई बहुत सार्थक नहीं है। लेकिन क्रोध हरेक को पछतावे से भरता है। कुछ न कुछ करना पड़ता है क्रोध के बाद। कामवासना भी पछतावे से भरती है। शराबी भी रोज-रोज तो शराब पीकर फिर-फिर कसम खाता है अब न पीयूंगा। पीनी पड़ती है यह दूसरी बात है लेकिन कसम तो खाता है बार-बार। निर्णय तो बहुत बार करता है, बार-बार टूट जाता है यह दूसरी बात है, लेकिन निर्णय नहीं करता ऐसा मत सोचना। बुरे से बुरा आदमी भी निर्णय करता है बाहर आ जाने के क्यों? क्योंकि यह पीछे गिरना किसी को भी शोभा नहीं देता। यह अहंकार को कष्टपूर्ण है। सरल तो है लेकिन असंभव है। क्षण भर को हम भुलावा डाल सकते हैं लेकिन फिर भुलावा टूट जाता है। इस स्थिति में हम सदा के लिए वापिस नहीं लौट सकते। इसलिए मैं कहता हूं एक प्रकृति तुम्हारे पीछे रह गई है एक प्रकृति तुम्हारे आगे है, तुम मध्य
SR No.032114
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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