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________________ शायद कोई विधि होगी, कोई तरकीब होगी, कोई जादू होगा, कोई चमत्कार होगा जिससे दो और दो तीन हो सकेंगे। दूसरों को पता न होगा। सिकंदर हार गया माना, नेपोलियन हार गया माना, लेकिन मैं भी हारूंगा यह क्या पक्का है? शायद कोई तरकीब रह गई हो, जो उन्होंने काम में न लाई हो। सच है कि बुद्ध हार गये और महावीर हार गये, लेकिन यह कहां पक्का पता है कि उन्होंने सभी उपाय कर लिये थे और सभी विधियां खोज ली थीं? अगर एक हजार विधियां खोजी हों और एक भी बाकी रह गई हो, कौन जाने उस एक से ही द्वार खुलता हो! उस एक में ही कुंजी छिपी हो। .. रस का अर्थ है, आशा बाकी है। रस का अर्थ है, शायद हो जाये। कभी नहीं हुआ सच है, लेकिन कभी नहीं होगा यह क्या जरूरी है? जो कल तक नहीं हुई थी चीजें, आज हो रही हैं। जो कभी नहीं हुई थीं वह कभी हो सकती हैं। अतीत में नहीं हुईं, भविष्य में नहीं होंगी ऐसा क्या पक्का है? आदमी और भी महत्वपूर्ण विधियां खोज ले सकता है। नये तकनीक, नये कौशल, नये उपाय; या नई तालियां गढ़ ले या ताले को तोड़ने का उपाय कर ले। आशा! रस का अर्थ है, आशा। रस का अर्थ है, अभी मैं थका नहीं। अभी मैं थोड़ी और चेष्टा करूंगा। अभी लगता है कि कहीं से कोई न कोई मार्ग मिल जायेगा। वासना दुष्पूर है, यह तो पक्का। और रस भी विरस हो जाता है यह भी पक्का। लेकिन रस विरस तभी होता है जब तुम रस में पूरे जाओ; नहीं तो विरस नहीं होता। जैसे बीच से कोई भाग आये, अधूरा भाग आये, जंगल में बैठ जाये तो मुश्किल खड़ी होगी। बार-बार मन में होगा, शायद एक बार और चुनाव लड़ लेता। कौन जाने जीत जाता। कहानियां हैं, गौरी अठारह दफे हारा, उन्नीसवीं बार जीत गया। और कैसे जीता पता है? भाग गया था। छिपा था एक जंगल में एक खोह में, गुफा में। और बैठा था थका हुआ, घबड़ाया हुआ कि अब क्या होगा? सब हार गया। और एक मकड़ी को जाला बुनते देखा। मकड़ी जाला बुनती रही, सत्रह बार गिरी और अठारहवीं बार जाला पूरा हो गया। गौरी उठकर खड़ा हो गया। उसने कहा, जो मकड़ी के लिए हो सकता है, मुझे क्यों नहीं हो सकत्ता? एक बार और कोशिश कर लूं। और गौरी कोशिश किया और जीत गया। ___ तुम अगर अधूरे भाग गये तो कोई न कोई मकड़ी को गिरते देखकर, जाला बुनते देखकर तुम लौट आओगे। कौन जाने! उपाय पूरा नहीं हो पाया था इसलिए हार गया। जाऊं, उपाय पूरा कर लूं। और तुम न भी लौटे तो भी मन तुम्हारा लौटता रहेगा। तुम चाहे बैठे रहो गुफा में, मन तुम्हारा बाजारों में भरमेगा, धन-तिजोड़ियों की चिंता करेगा, स्त्रियों-पुरुषों के सपने देखेगा, पद-प्रतिष्ठा के रस में तल्लीन होगा। गुफा में बैठने से क्या फर्क होता है? मन को गुफा में बिठा देना इतना आसान थोड़े ही है! शरीर को बिठा देना आसान है। जंजीरें डाल दो, कहीं भी बैठ जायेगा। ____ मैंने सुना है, एक ईसाई फकीर के दर्शन करने लोग आते थे बड़े दूर-दूर से। वह मिस्र के पास एक रेगिस्तान में, एक गुफा में रहता था। हजारों मील से लोग उसके दर्शन करने आते थे। लोग बड़े चकित होते थे उसकी तपश्चर्या, उसका त्याग देखकर। एक दिन एक फकीर भी उसके दर्शन को आया था, वह देखकर हंसने लगा। उसने पूछा, मैं समझा नहीं। आप हंस क्यों रहे हैं? उस फकीर ने कहा कि मैं यह देखकर हंस रहा हूं कि तुमने अपने हाथ में जंजीरें और पैरों में बेड़ियां क्यों डाल रखी हैं? घन बरसे 35 -
SR No.032113
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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