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________________ - लोग धन के पीछे भागे जा रहे हैं। एक आदमी धन के पीछे भागना बंद कर देता है, हम उसको मनोवैज्ञानिक के पास ले जाते हैं। हम कहते हैं, इसे क्या हो गया? जैसे सब हैं वैसा यह क्यों नहीं है? सब धन कमा रहे हैं, यह कहता है धन में क्या रखा है? अभी ऐसी घटना घटी न्यूयार्क में। एक आदमी बैंक से दस हजार डालर लेकर निकला। खूब धनी आदमी। और उसे ऐसे मौज आ गई रास्ते पर कि देखें क्या होता है। तो उसने सौ-सौ डालर के नोट लोगों को देने शुरू कर दिये। जो दिखा उसको कहा कि लो। लोगों ने नोट देखा, पहले तो भरोसा न आया कि सौ डालर का नोट कौन दे रहा है ऐसे अचानक? फिर उस आदमी को देखा, सोचे कि पागल है। उसने जो रास्ते पर मिला उसको नोट देने शुरू कर दिये। थोड़ी देर में खबर फैल गई कि वह आदमी पागल हो गया। थोड़ी देर में पुलिस आ गई, उस आदमी को पकड़ लिया कि तुम्हारा दिमाग खराब हो गया? वह कहने लगा, मेरे रुपये और मैं बांटना चाहूं तो तुम हो कौन? पर उन्होंने कहा, तुम पहले अदालत चलो। पहले तुम्हें प्रमाणपत्र लाना पड़ेगा मनोवैज्ञानिक का कि तुम स्वस्थ हो! क्योंकि ऐसा कोई करता? ___ यहां लोग पागल हैं धन इकट्ठा करने को। यहां अगर कोई बांटने लगे तो पागल मालूम होता है। बुद्ध लोगों को पागल मालूम हुए जब उन्होंने राजसिंहासन छोड़ा। महावीर भी पागल मालूम हुए जब उन्होंने साम्राज्य छोड़ा। पागल हैं ही। ___वह आदमी जाकर अदालत में कहा कि यह भी खूब रही। मेरे रुपये मैं बांटना चाहता हूं। मजिस्ट्रेट ने कहा रुको, मनोवैज्ञानिक का प्रमाणपत्र...। मनोवैज्ञानिक कोई प्रमाणपत्र देने को तैयार नहीं, क्योंकि ऐसा आदमी पागल होना ही चाहिए। दस हजार डालर बांट दिये। और वह कहता है कि अगर तुम मुझे प्रमाणपत्र दे दो तो मैं दस हजार निकालकर और बांट दूं। मेरे पास बहुत हैं। और मुझे बहुत मजा आया। जिंदगी में इतना मजा मुझे कभी आया ही नहीं। इकट्ठे मैंने रुपये किये, खूब किये। यह . सुख मैंने कभी पाया नहीं। मुझे बड़ा सुख मिल रहा है। मुझे बांटने दो। मनोवैज्ञानिक ने कहा, अगर तुम्हें फिर बांटना है तो तुम मुझे भी फंसाओगे। तो मैं तुम्हें प्रमाणपत्र नहीं दे सकता। __ जहां भीड़ पागल है धन के लिए वहां कोई आदमी धन को छोड़ दे तो पागल मालूम होता है। जहां लोग हिंसा से भरे हैं वहां कोई प्रेम से भर जाये तो पागल मालूम होता है। जीसस को फांसी ऐसे ही थोड़े दी! पागल मालूम हुआ। क्योंकि लोगों से कहने लगा, कोई तुम्हारे गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल उसके सामने कर देना। अब यह पागल ही कोई कहेगा। ये होश की बातें हैं? कि जीसस ने लोगों से कहा, कोई तुम्हारा कोट छीन ले तो कमीज भी दे देना। ये कोई होश की बातें हैं? कभी किसी समझदार ने ऐसा कहा है? कोई कौटिल्य, कोई मेक्यावेली ऐसा कहेगा? बुद्धिमान कभी ऐसा कहे हैं? इस आदमी का दिमाग फिर गया है। यह कहने लगा कि जो तुम्हें घृणा करें उन्हें प्रेम करना। और जो तुम्हें अभिशाप दें उन्हें वरदान देना। इसको सूली लगानी जरूरी हो गई। सूली पर लटककर भी इसने अपना पागलपन नं छोड़ा। सूली से अंतिम बात भी यही कही कि हे प्रभु! इन सबको क्षमा कर देना क्योंकि ये जानते नहीं, ये क्या कर रहे हैं। 356 अष्टावक्र: महागीता भाग-5 |
SR No.032113
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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