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________________ पास नहीं आ सकता। ___ ये छोटे आदमियों की दौड़ें हैं। हीन ग्रंथियों से पीड़ित आदमियों की दौड़ें हैं। लेकिन अधिक लोग इसमें व्यस्त होते हैं। दृश्य की तलाश में आत्मा का दर्शन कहां? अष्टावक्र कहते हैं, दृश्य का जो अवलंबन करता है वह कभी अपने को न पा सकेगा। और जिसने अपने को न पाया वह सब भी पा ले तो उस पाने का सार क्या है? जीसस ने कहा है. तम सारी दनिया भी पा लो और स्वयं को खो दो, यह कोई सौदा हआ? इसको जीत समझते हो? यह तो महा-हार हो गई। इससे बडी और पराजय क्या होगी? अपने को गंवा दिया, सब कमा लिया। कमाने योग्य तो एक ही बात है : वह, जो तुम्हारे भीतर छिपा बैठा है। वही है परम धन, वही है परम पद। उसे नहीं पाया तो समझना, तुम भिखमंगे रहे और भिखमंगे मरे। फिर तुम कितनी ही बड़ी कुर्सियों पर चढ़ जाओ; तुम कितनी ही सीढ़ियां चढ़ जाओ, और तुम कितने ही धन के ढेर लगा लो, और तुम सारी पृथ्वी के मालिक हो जाओ, अगर तुम अपने मालिक नहीं हो तो तुम दीन हो, तुम दरिद्र हो। और अगर तुम अपने मालिक हो और तुम्हारे पास कुछ भी न हो तो भी तुम्हारी समृद्धि अपूर्व है; तुम सम्राट हो। स्वामी राम अपने को बादशाह कहते थे। था तो नहीं उनके पास कुछ भी। बोलते थे तो भी वे अपने को राम बादशाह ही कहते थे। कि आज सुबह राम बादशाह घूमने गया तो वृक्ष झुक-झुककर सलाम बजाने लगे। आज रात राम बादशाह जा रहा था तो चांद-तारे परिक्रमा करने लगे। इस देश में तो ऐसी बात चलती है। इस देश में कोई इसमें अड़चन नहीं लेता; हम इसके आदी हैं। लेकिन जब वे अमरीका गये तो लोगों को यह बात न जंची। लोगों ने कहा, आप कह क्या रहे हैं? क्योंकि अमरीका में तो यह पागलपन का लक्षण हो जाये। चांद-तारे और आपका चक्कर लगाने लगे? और वृक्ष झुक-झुककर सलाम बजाने लगे? होश में हैं? और आप अपने को राम बादशाह कहते हैं, और दो लंगोटी आपके पास हैं। ___ और राम बादशाह ने कहा, इसीलिए तो कहता हूं कि मैं बादशाह हूं, क्योंकि मेरे पास ऐसा कुछ भी नहीं है, जो छीना जा सके। और मेरे पास ऐसा कुछ भी नहीं है जो मौत मेरे हाथों से छुड़ा लेगी। मेरी मालकियत ऐसी है कि मौत भी हार जायेगी। और मेरी मालकियत ऐसी है कि कोई छीन न सकेगा। इसलिए तो बादशाह कहता हूं अपने को। मेरी हंसी देखो, मेरी आंखों में झांको। मेरी बादशाहत भीतरी है। मेरी बादशाहत वही है जिसको जीसस ने किंगडम आफ गाड ः प्रभु का राज्य कहा है। मेरी आंखों में आंखें डालो और देखो, मेरी बादशाहत भीतर है। मैंने अपने को पा लिया है इसलिए कहता हूं कि मैं बादशाह हूं। और तुम सब गरीब हो, दीन-दरिद्र हो। होंगे करोड़ों रुपये तुम्हारे पास, धन-वैभव होगा, फिर भी मैं तुमसे कहता हूं, तुम दीन-दरिद्र हो। __ इन्हीं अमीरों के लिए, जिनके पास बाहर का सब कुछ है और भीतर का कुछ नहीं है, जीसस का प्रसिद्ध वचन है : सुई के छेद से भी ऊंट निकल सकता है लेकिन ऐ अमीर लोगो! तुम प्रभु के राज्य में प्रवेश न पा सकोगे। सुई के छेद से ऊंट भी निकल सकता है-यह असंभव है। सुई के छेद से कैसे ऊंट निकलेगा? दृश्य से द्रष्टा में छलांग 163]
SR No.032113
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages436
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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