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________________ क्योंकि कुछ दस-बारह कुत्ते रेस्ट हाउस के कंपाउंड में भौंके। वे आये मेरे पास कमरे में, उन्होंने कहा कि आप तो बड़े मजे से सो रहे हैं। मुझे हिलाया। मैंने कहा, क्या मामला है? उन्होंने कहा, आपको देख कर ईर्ष्या होती है। आप मजे से सो रहे हैं, ये कुत्ते भौंक रहे हैं। ये मुझे सोने नहीं देते। ___ मैंने कहा कि आप देख ही रहे हैं कि मैं सो रहा हूं। अगर आप नहीं सो पा रहे हैं तो गड़बड़ कुछ आपमें होगी, कुत्तों में नहीं हो सकती। फिर कुत्तों को तो पता भी नहीं है कि नेता जी आये हैं। न अखबार पढ़ें, न रेडियो सुनें। ये कुत्ते हैं, इनको कुछ पता ही नहीं है कि आपका यहां आगमन हुआ है। ये कोई आदमी थोड़े ही हैं कि आपके स्वागत में कुछ शोरगुल कर रहे हैं, कि कोई आपके स्वागत में व्याख्यान कर रहे हैं। इनको कुछ लेना-देना नहीं है, अपने काम में लगे हैं। __ पर उन्होंने कहा, मैं सोऊं कैसे यह बतायें। तो मैंने कहा, आप एक काम करें। कुत्ते नहीं भौंकना चाहिए, यह बात आपको बाधा डाल रही है। आप बिस्तर पर लेट जायें और कहें कि 'भौंको कुत्तो, तुम्हारा काम भौंकना है, मेरा काम सोना है। तुम भौंको, हम सोते हैं।' और शांति से सुनें। कुत्तों के भौंकने में भी एक रस है। ___ उन्होंने कहा, क्या कह रहे हैं! मैंने कहा, आप कोशिश करके देख लें। आप अपनी कोशिश करके देख लिये, उससे कुछ हल नहीं हो रहा है, आधी रात हो गयी। कुत्तों के भौंकने में भी एक रस है। वहां भी परमात्मा ही भौंक रहा है। यह भी परमात्मा का एक रूप है। इसको स्वीकार कर लें। इसके साथ विरोध छोड़ दें। इसे अंगीकार कर लें कि ठीक है तुम भी भौंको और हम भी सोयें। दुनिया बड़ी है। तुम्हारे लिए भी जगह है, मेरे लिए भी जगह है। परमात्मा बहुत बड़ा है, सबको संभाले है। उन्होंने कहा, अच्छा चलो करके देख लेते हैं। राजी तो वे नहीं दिखाई पड़े। लेकिन कोई उपाय भी न था, तो करके देख लिया। कोई आधा घंटे बाद वे तो घुर्राने लगे। मैं गया। मैंने उनको हिलाया। मैंने कहा, क्या मामला है ? बोले, हद हो गयी, अब आपने फिर जगा दिया। किसी तरह मेरी नींद लगी थी। ____ मैंने कहा, अब तो आपको तरकीब हाथ में लग गयी, अब कोई अड़चन नहीं है। मगर नींद लग गयी थी, यह मैं जान लेना चाहता हूं। क्योंकि आप घुर्रा रहे थे। उन्होंने कहा, काम तो की बात, क्योंकि जैसे ही मैं शिथिल हो कर पड़ गया हूं...मैंने कहा ठीक है। कुत्ते भौंकते हैं, भौंकते हैं। ऐसी सहज स्वीकृत दशा है ध्यान। तुम जाग कर देखो : जो हो रहा है हो रहा है। हवाई जहाज भी चलेंगे, ट्रेन भी गुजरेगी, मालगाड़ियां शंटिंग भी करेंगी, ट्रक भी गुजरेंगे, बच्चे रोएंगे भी, स्त्रियां बर्तन भी गिरायेंगी, पोस्टमैन दरवाजा भी खटखटाएगा-यह सब होगा। एकाग्रता के कारण लोग जंगल भाग-भाग कर गये। उनको ध्यान का पता नहीं था; नहीं तो ध्यान । तो यहीं हो जायेगा। ____ मैं एक अमरीकी मनोवैज्ञानिक का जीवन पढ़ रहा था। वह पूरब आना चाहता था विपस्सना ध्यान सीखने। तो बर्मा में सबसे बड़ा विपस्सना का स्कूल है-बौद्धों के ध्यान का। तो उसने तीन सप्ताह की छुट्टी निकाली। बड़ी तैयारियां करके रंगून पहुंचा। बड़ी कल्पनाएं ले कर पहुंचा था कि किसी पहाड़ की तलहटी में, कि घने वृक्षों की छाया में, कि झरने बहते होंगे, कि पक्षी कलरव करते होंगे, कि फूल खिले होंगे-एकांत में तीन सप्ताह आनंद से गुजारूंगा। यह न्यूयार्क का पागलपन...! तीन सप्ताह तथाता का सूत्र-सेत है 323
SR No.032112
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages444
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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