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________________ यह सूत्र कृष्ण के सूत्र से भी थोड़ा आगे आता है क्योंकि कृष्ण के सूत्र में एक खतरा है कि तुम सब छोड़ कर कृष्ण के चरणों में ध्यान लगा लो। वह खतरा है। वह तो हो गया कृष्ण भक्तों को। उन्होंने सब तरफ से ध्यान हटा लिया, कृष्ण के चरण पकड़ लिए। मगर ध्यान कहीं है। समाधि तब फलित होती है जब ध्यान कहीं भी नहीं रह जाता। ध्यान जब शून्य होता है, तब समाधि। जब तुम्हारे ध्यान में कुछ भी नहीं रह जाता, कोरा प्रकाश रह जाता है, कहीं पड़ता नहीं, किसी चीज पर पड़ता नहीं, कहीं जाता नहीं, बस तुम कोरे प्रकाश रह जाते हो! ऐसा समझो कि साधारणतः आदमी का ध्यान टार्च की तरह है, किसी चीज पर पड़ता है, एक दिशा में पड़ता है और दिशाओं में नहीं पड़ता। फिर दीये की तरह भी ध्यान होता है, सब दिशाओं में पड़ता है, किसी चीज पर विशेष रूप से नहीं पड़ता। कोई चीज हो या न हो, इससे कोई संबंध नहीं है; अगर कमरा सूना हो तो सूने कमरे पर पड़ता है, भरा हो तो भरी चीजों पर पड़ता है। सब हटा लो तो दीये का प्रकाश शून्य में पड़ता रहेगा। जिस दिन तुम्हारा चैतन्य ऐसा हो जाता है कि शून्य में प्रकाश होता है, उसी घड़ी तू मुक्त है, तू आत्मा है! जिस दिन विचार करने को कुछ शेष नहीं रह जाता, उस दिन तुम तो शांत होओगे ही, दूसरे भी देख कर प्रफुल्लित हो जाएंगे, भरोसा न कर सकेंगे। नहीं गत, आगत, अनागत निर्वधि जिसकी उपलब्धि वह तथागत। गया गया, आने वाला भी छूटा। कोई पकड़ न रही। उसको हम कहते हैं तथागत की अवस्था । गया भी गया, आने वाला भी न रहा; जो है बस वही बचा, वहीं प्रकाशित हो रहा है। चंदा की छांव पड़ी सागर के मन में शायद मुख देखा है तुमने दर्पण में। अधरों के ओर-छोर टेसू का पहरा आंखों में बदरी का रंग हुआ गहरा केसरिया गीलापन, वन में उपवन में शायद मुख धोया है तुमने जल-कण में। और तुम्हीं को नहीं अहसास होगा, जिस दिन यह घड़ी घटती है, तुम्हारे आसपास के लोग भी देखेंगे! तुम एक अपूर्व स्वच्छता से एक कुंवारेपन से भर गये! तुमसे एक सौरभ उठ रहा नया-नया! धो लिया है चेहरा तुमने प्रभु के चरणों में! यह अमर निशानी किसकी है! बाहर से जी, जी से बाहर तक आनी जानी किसकी है! दिल से आंखों से गालों तक
SR No.032111
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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