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________________ भविष्य की, उसकी परंपरा कहां! परंपरा तो होती है भीड़ की, समाज की। श्रद्धा तो होती है व्यक्ति की, अकेले की। 'हे सौम्य, हे प्रिय! श्रद्धा कर, श्रद्धा कर! इसमें मोह मत कर। तू ज्ञानरूप है, भगवान है, परमात्मा है, प्रकृति से परे है। ये उदघोषणायें बड़ी घबडाती हैं। ये हमें बड़ा बेचैन कर देती हैं। किसी को कहो कि तुम भगवान हो तो वह सोचता है शायद मजाक तो नहीं कर रहे, कोई व्यंग्य तो नहीं किया जा रहा है। तुम्हारे धर्मगुरुओं ने तो तुम्हें सिखाया है कि तुम पापी हो। तुम्हारे धर्मगुरुओं ने तो सिखाया है कि तुम नारकीय हो। तुम्हारे धर्मगुरुओं ने तो तुम्हें सिखाया कि तुम मनुष्य होने के भी काबिल नहीं हो तुम तो पशुओं से गये-बीते हो! लेकिन जिसने तुम्हें ऐसा सिखाया, धर्मगुरु तो दूर, उसे धर्म का कोई भी पता नहीं है। वह तुम्हारी सीमाओं को मजबूत कर रहा है। वह तुम्हारी जंजीरों को मजबूत कर रहा है।वह तुम्हारे कारागृह को मजबूत कर रहा है। वह तुम्हें मुक्त न होने देगा। वास्तविक धर्मगुरु तुमसे कहता है कि तुम मुक्त हो! मुक्ति तुम्हारा स्वभाव है। 'तात, हे सौम्य! भो! हे प्रिय! श्रद्धा कर! श्रद्धा कर!' अत्र मोह न कुरुक्ल जरा भी मोह में मत पड़ना अब। पड़ने का भाव उठेगा, पड़ना मत, सजग रहना। 'भगवान' शब्द बड़ा महत्वपूर्ण है। इसका अर्थ होता है : भाग्यवान। इसका अर्थ होता है : भाग्यशाली। तुम भगवान हो,. इसका अर्थ तुम भाग्यशाली हो। भाग्य का अर्थ होता है : तुम्हारा भविष्य है। भाग्य का अर्थ होता है तुम वहीं समाप्त नहीं जहां तुम हो, तुम्हारा भविष्य है। एक पत्थर है, एक कंकड़ है-उसका कोई भविष्य नहीं। कंकड़ भगवान नहीं। वह कंकड़ ही रहेगा। उसी के पास एक बीज पड़ा है, बीज भगवान है; उसका भविष्य है। कंकड़ को, बीज को दोनों को मिट्टी में डाल दो, थोड़े दिन बाद कंकड़ तो कंकड़ ही रहेगा, बीज उमग आयेगा, पौधा बन जायेगा। बीज का भविष्य है। जहां भविष्य है, वहीं भगवान छिपा है। भाग्य का अर्थ होता है : तुम भविष्य के मालिक हो। अतीत पर तुम समाप्त नहीं हो गये हो। जो हुआ है, उस पर तुम चुक नहीं गये हो। अभी बहुत कुछ होने को है। यह मतलब होता है भगवान का। भगवान का अर्थ होता है : समाप्त मत समझ लेना, पूर्ण विराम नहीं आ गया है। अभी कथा आगे जारी रहेगी। सच तो यह है कि कथा कभी समाप्त नहीं होगी। भगवान का अर्थ है. तुम कुछ भी हो जाओ, सदा होने को शेष रहेगा। संभावना बनी ही रहेगी। बीज फूटता ही रहेगा। वृक्ष बड़ा होता ही रहेगा। फूल लगते ही रहेंगे। फूल पर फूल, फूल पर फूल लगते रहेंगे। कमल पर कमल खिलते चले जायेंगे-जिनका कोई अंत नहीं! अंतहीन है तुम्हारी संभावना। तुम्हारा भविष्य विस्तीर्ण है। 'भगवान' शब्द का अर्थ समझो। ईसाइयों और मुसलमानों के कारण भगवान शब्द का अर्थ बड़ा ओछा हो गया, उसका अर्थ हो गया : जिसने दुनिया को बनाया। निश्चित ही जनक ने दुनिया को नहीं बनाया है। तो अष्टावक्र का भगवान का यह अर्थ तो हो ही नहीं सकता है कि जिसने दुनिया
SR No.032111
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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