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________________ यह करिश्मा कोन कर सकता है ! अगर यह कमजोरी है तो इसका राज क्या है? अगर यह बीमारी है तो इसका इलाज क्या है? तब भी तेरी महिमा अपार है। तू चाहे तो यह असमर्थता भी हर सकता है। इसलिए तो ऐसे लोग हैं जो पांव छुलाए बिना जमीन पर चलते हैं और आग में खड़े होकर भी नहीं जलते हैं। लेकिन तुम ध्यान रखना, यह जो चमत्कार है - आत्यंतिक चमत्कार - यह तभी घटता है जब तुम होते ही नहीं, जलने वाला होता ही नहीं, तभी यह चमत्कार घटता है। जब तक तुम हो, तब तक तो तुम जलोगे ही। चाहे दिखाओ चाहे न दिखाओ, बताओ कि न बताओ, प्रगट करो कि न प्रगट करो; लेकिन जब तक तुम हो तब तक तो तुम जलोगे ही। और जब तक तुम हो पानी पर चलोगे, तो पैर में पानी छुएगा ही। लेकिन यह करिश्मा भी घटता है। उसकी महिमा अपार है ! यह तुम्हारे कि नहीं घटता; यह तुम्हारे मिटे घटता है। तू जो चाहे, तो यह असमर्थता भी हर सकता है। इसलिए तो ऐसे लोग हैं जो पांव छुलाए बिना जमीन पर चलते हैं और आग में खड़े होकर भी नहीं जलते हैं। ध्यान रखना, मैं वस्तुतः आग के अंगारों पर चलने वालों की बात नहीं कर रहा और न ही पानी पर चलने वाले योगियों की बात कर रहा हूं। मैं तो जीवन की उस परम महिमा की कर रहा हूं, जहां तुम जीवन में होते हो, फिर भी तुम्हें कुछ छूता नहीं। बाजार में खड़े और तुम मंदिर में ही होते हो। दूकान पर बैठे, ग्राहक से बात करते, तुम किसी परलोक में होते हो। उठते-बैठते, घर-द्वार सम्हालते, बच्चे - पत्नी की चिंता - फिक्र करते - फिर भी निश्चित रहते हो ! जल में कमलवत !
SR No.032111
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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