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________________ उन्होंने उसे बहुत घबड़ा दिया। उनसे वह छूट भी गई लेकिन बड़े गहरे अचेतन में उनकी धारणाएं अब भी पड़ी रह गई हैं। इसलिए इस बात का डर है कि कहीं अंधेरे से गठबंधन न बन जाए । तो ध्यान रखना, रोशनी से घबड़ाना मत। रोशनी करीब आए तो आंख बंद मत कर लेना । रोशनी करीब आए तो दरवाजा बंद मत कर लेना। क्योंकि परमात्मा के मार्ग पर भला अंधेरा हो, परमात्मा की उपलब्धि पर प्रकाश है। उसकी प्रतीक्षा करते रहना- अंधेरी रात में भी ! अंधेरी रात में भी उसे पहचानने की कोशिश जारी रहे । कुमुद - दल से वेदना के दाग को पोंछती जब आंसुओ से रश्मिया चौंक उठतीं अनिल के विश्वास छू तारिकाएं चकित-सी अनजान - सी अवनि अंबर की रुपहली सीप में तरल मोती-सा जलधि जब कापता तैरते घन मृदुल हिम के पुंज से ज्योत्सना के रजत पारावार में सुरभि बन जो थपकियां देता मुझे नींद के उच्छवास - सा वह कौन है ! अंधेरे में भी जो तुम्हें थपकियां दे खयाल रखना. वही है ! सुरभि बन जो थपकियां देता मुझे नींद के उच्छवास - सा वह कौन है ! वह जो नींद में भी आ कर तुम्हें घेर लेता है, वह भी वही परमात्मा है। अंधेरे की तरह तुम्हें जो घेर लेता, वह भी वही परमात्मा है। शीतल छांह जो अंधेरे की मालूम होती है, वह भी उसी की शीतल छाह है। वह जो मीठा शांतिदायी, विश्राममयी भाव घेर लेता है अंधेरे में, वह भी उसी के पास होने की खबर है; कहीं पास ही वह मौजूद है! उसे भूलना मत और उसकी खोज जारी रखना । जो आज सोया है, वह कल जागेगा। जो आज अंधेरे में दबा है- उभरेगा। क्षितिज पर उसकी लाली जल्दी ही दिखाई देने लगेगी। मुझे यह महसूस हो रहा है मेरा खुदा ख्वाबगाहे - गफलत में सो रहा है मेरा दिले - बेकरार मुद्दत से रो रहा है शिकस्त है यह कि आजमाइश - कि रब्बे • आलम कि लुत्मों अकराम की नुमाइश बफरे - वहशत ने जिंदगी का सुहाग लूटा तिलिस्म कैफे - शबाब लूटा
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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