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________________ तो क्या भेंट होगी! सोचता है अपनी पत्नी को दे दे। लेकिन अगर चेष्टा की, कि अड़चन हो जाएगी। तुम्हारी चेष्टा के कारण ही पत्नी सुरक्षा करने लगेगी, तुम पर भरोसा न करेगी। हीरे-जवाहरात तुम ले आते हो, तो वे मान लेती हैं, क्योंकि वे प्रत्यक्ष दिखाई पड़ते हैं, यह ध्यान तो तुम्हीं को अनुभव होता है, उसे तो दिखाई नहीं पड़ता। वह कहेगी. 'दिमाग खराब हो गया, होश में तो हैं । किस जाल में पड़ गए हैं?' और पत्नियां बड़ी व्यावहारिक हैं, बड़ी पार्थिव हैं, भूमि में उनकी जड़ें हैं। आदमी तो थोड़ा आकाश में भी उड़े; उनकी भूमि में जड़ें हैं, बिलकुल व्यावहारिक हैं। वे कहेंगी : 'किस नासमझी में पड़े हो? अरे, बाल-बच्चों की फिक्र करो। कहां का ध्यान? अभी धन पास नहीं है, तुम ध्यान में लग गए? और अभी तो तुम जवान हो। यह क्या झंझट कर रहे हो रूम' पत्नी और उपद्रव खड़े कर देगी अगर तुमने कहा। क्योंकि पत्नी को लगेगा, तुम तो उसके हाथ के बाहर होने लगे। पत्नी ऐसी कोई भी चीज बर्दाश्त नहीं कर सकती, जो तुम्हें मिल गई है और जिसमें वह भागीदार नहीं हो सकती। कोई चीज प्राइवेट, निजी तुम्हें मिल गई है, जिसको तुम भागीदार नहीं बना सकते पत्नी को-पत्नी बर्दाश्त नहीं करेगी। पहले तो वह यही सिद्ध करेगी कि तुम्हें मिली नहीं, तुम भ्रम में पड़ गए हो। कहां मिलता? किसको मिलता? किस नासमझी में पड़े हो, किसी के सम्मोहन में आ गए? छोड़ो ये बातें, दिमाग खराब हो जाएगा। वह तुम्हें खींचने की कोशिश करने लगेगी। जब तक तुम आते थे ध्यान करने, शांति की तलाश में, वह शायद राजी भी थी। अगर तुम मस्त होने लगे.. मस्ती उसने मांगी भी न थी। पत्नी चाहती थी, पति थोड़ा शांत हो जाए, छोटी-छोटी बातों में झल्लाए न, नाराज न हो; पत्नी की आकांक्षा यह नहीं थी कि तुम आत्मा-परमात्मा को जान लो। वह इतना ही जानती थी कि एक सज्जन पति हो जाओ-बस, पर्याप्त है! अब तुम कहने लगे, तुम्हें ध्यान घटा! अब तुम गुनगुनाने लगे तुम डोलने लगे! अब पत्नी घबडाई कि यह जरा ज्यादा हो गया। मैंने सुना है कि एक युवती किसी व्यक्ति के प्रेम में थी। युवती थी कैथोलिक ईसाई और जिसके वह प्रेम में पड़ी 'थी, वह था प्रोटेस्टेंट ईसाई। तो युवती की मां ने कहा, यह विवाह हो नहीं सकता; हमारे धर्म भिन्न-भिन्न, हमारा संप्रदाय भिन्न-भिन्न। लेकिन लड़की बहुत दीवानी थी तो मां ने कहा : एक ही रास्ता है यह विवाह करने का कि वह लड़का कैथोलिक होने को राजी हो जाए। पहले तू यह कोशिश कर। तो लड़की कोशिश करने लगी। लड़का भी प्रेम में था। और रोज-रोज आ कर मां को खबर देने लगी कि सब ठीक चल रहा है, धीरे - धीरे वह झुक रहा है। एक दिन आ कर खबर दी कि आज तो चर्च भी गया था। एक दिन आ कर खबर दी कि अब तो वह कैथोलिक धर्म में विश्वास भी करने लगा है। ऐसे महीने बीते। एक दिन रोती हुई घर आई। मां ने पूछा, क्या हुआ? सब तो ठीक चल रहा था! उसने कहा, जरूरत से ज्यादा हो गया। वह अब कैथोलिक पादरी होना चाहता है। अब वह विवाह
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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