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________________ लौ न लौटू! पुराने जमाने की बात होगी। अब तो लोग लौट आते हैं। पहले तो कोई तीर्थयात्रा को जाता था तो आखिरी नमस्कार करके जाता था - लौटना हो या न हो ! होना भी नहीं चाहिए तीर्थ से लौटना। क्योंकि जब तीर्थ चले ही गए तो फिर क्या लौटना? फिर लौटना कैसा? तो बिल्ली ने खबर भेज दी। चूहे बड़े चिंतित हुए। चूहों में बड़ी अफवाह सरगर्मी हो गई। उन्होंने कहा कि जा तो रही हज को, लेकिन इसका भरोसा क्या ? सौ-सौ चूहे खाए, हज को चली, पता नहीं ! इतने चूहे खा गई है, आज अचानक धर्म- भाव पैदा हुआ है। अहंकार ने बहुत चूहे खाए हैं इसलिए एकदम भरोसा तो तुम्हें भी नहीं आएगा। कि अहंकार, और सदगुरु के पास ला सकता है! लेकिन बिल्लियां भी हज की यात्रा को जाती हैं। आखिर आदमी थक जाता है, हर चीज से थक जाता है। और अहंकार की खूबी एक है कि वह किसी चीज से भरता नहीं; इसलिए थकोगे नहीं तो करोगे क्या ? कितना ही धन इकट्ठा करो जन्मों-जन्मों तक, अहंकार भरता ही नहीं। अहंकार तो ऐसी बाल्टी है, जिसमें पेंदी है ही नहीं। तुम उसमें डालते जाओ, डालते जाओ, सब खोता चला जाता है। मुल्ला नसरुद्दीन के पास एक युवक आया और उसने कहा कि किसी ने मुझसे कहा कि तुम्हें ज्ञान की कुंजी मिल गई है। तो मुझे स्वीकार करो गुरुदेव, मैं आपके चरणों में रहूंगा! मुल्ला ने कहा, कुंजी तो मिल गई है, लेकिन सीखने के लिए बड़ा धैर्य चाहिए। तो मेरी एक ही शर्त है कि धैर्य रखना पड़ेगा। और धैर्य की अगर परीक्षा में तुम खरे उतरे, तो ही मैं तुम्हें स्वीकार करूंगा। उसने कहा, मैं तैयार हूं, परीक्षा मेरी ले लें। मुल्ला ने कहा, अभी तो मैं कुएं पर जा रहा हूं पानी भरने तुम मेरे साथ आ जाओ, वहीं परीक्षा भी हो जाएगी। जब मुल्ला ने उठाई बाल्टी, तो उस युवक ने देखा उसमें पेंदी नहीं है। वह थोड़ा हैरान हुआ मगर उसने सोचा : अपना बोलना ठीक नहीं, अभी परीक्षा का वक्त है। अब यह जो कर रहा है करने दो मगर यह आदमी पागल मालूम होता है। रस्सी इत्यादि ले कर और बिना पेंदी की बाल्टी ले कर यह जा कहां रहा है! शिष्य बड़ा बेचैन तो हुआ, लेकिन उसने अपने को संभाले रखा। उसने कहा कि धैर्य की परीक्षा है, पता नहीं यही परीक्षा हो । मुल्ला ने कुएं में बाल्टी फेंकी, हिला कर उसमें पानी भर लिया। तो नीचे जब पानी में डूब गई तो भरी मालूम पड़ने लगी। वह युवक खड़ा देख रहा है। उसने कहा, हद हो रही है ! यह अज्ञानी हमको ज्ञान देगा! इस मूढ़ को इतना भी पता नहीं है कि यह क्या कर रहा है! इसको ज्ञान की कुंजी मिल गई है? हम भी कहा चक्कर में पड़े जाते थे! उसने बाल्टी खींची, बाल्टी खाली आई। मुल्ला ने कहा, मामला क्या है त्र' फिर से पानी में डाली। अब उसका बर्दाशत करना.. । वह भूल ही गया। उसने कहा कि ठहरो जी, तुम मुझे जब सिखाओगे तब सिखाओगे, कुछ मैं तुम्हें सिखा दूं मुफ्त! यह बाल्टी कभी न भरेगी। मुल्ला • कहा, तुम बीच में बोले, तुमने धैर्य तोड़ दिया। तुमसे मैं इतना ही कहना चाहता
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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