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________________ हो, और तुम्हें रोना आता हो तो लाख स्थिति कहे कि 'मत रोओ, कि मर्द बच्चा हो, रोते हो 2: यह तो स्त्रियों का काम है! क्या जनानी बात कर रहे हो? मर्दाने हो! रोओ मत। ' लेकिन जब रोने की घड़ी हो और तुम्हारा हृदय रुदन से भरा हो तो बहने देना आंसूओ को मत सुनना, लाख दनिया कहे। और जब हंसने की तुम्हारे भीतर फुलझड़ियां फूटती हों तो लाख दुनिया कहे, हंसना। इसको मैं तपश्चर्या कहता हूं। तुम्हें बड़ी कठिनाइयां आएंगी। और इन कठिनाइयों के मुकाबले धूप में खड़ा होना या भूखे मरना या उपवास करना कुछ भी नहीं है बच्चों के खेल हैं; सर्कसी खेल हैं। जीवन में इंच-इंच पर तुम्हें कठिनाई आएगी, क्योंकि इंच-इंच पर समाज ने मर्यादाएं बना कर रखी हैं, इंच इंच पर समाज ने व्यवहार, लोकोपचार, शिष्टाचार बना कर रखा है। और सब लोकोपचार तुम्हें झूठ किए दे रहा है। तुम बिलकुल झूठे हो गए हो। तुम एक महाझूठ हो। तुम्हारे भीतर खोजने से सच का पता ही नहीं चलेगा। तुम खुद भी अगर खोजोगे तो चकित हो जाओगे। __ मैं तुमसे यह कहना चहता हूं. एक महीने भर तक इस बात की खोज करो कि तुम कितने-कितने समय पर झूठ होते हो। रास्ते पर कोई मिलता, तुम कहते, 'नमस्कार, बड़े दिनों में दर्शन हुए बड़ी आंखें तरस गईं। ' और भीतर तुम कह रहे हो, 'ये दुष्ट सुबह से कहां मिल गया, यह सारा दिन खराब न हो जाए! हम किस दुर्भाग्य के क्षण में इस रास्ते से निकल आए!' तुम ऊपर से कह रहे हो कि मिल कर बड़ी खुशी हुई और भीतर से तुम कह रहे हो, कैसे छुटकारा हो! तुम जरा जांचना। तुम सिर्फ एक महीना जांच करो। तुम मुस्कुरा रहे हो जरा जांचना. ओंठ पर ही है या भीतर से जुड़ी है? तुम आंख में आंसू ले आए हो, जरा जांचना. आंख में आंसू झूठे तो नहीं हैं, प्राणों से निकलते हैं? तुम एक महीना सिर्फ जांच करो और तुम पाओगे तुम्हारी जिंदगी करीब करीब निन्यानबे प्रतिशत झूठ है और फिर तुम कहते हो, परमात्मा को खोजना है! परमात्मा तो केवल उन्हीं को मिलता है जिनका जीवन सौ प्रतिशत सच है। और सच होना अत्यंत कठिन है, तपश्चर्यापूर्ण है; क्योंकि जगह-जगह अड़चन होगी। समाज झूठ से जीता है। फ्रेडरिक नीत्से ने लिखा है कि आदमी बना ही कुछ ऐसा है कि बिना झूठ के जी नहीं सकता। सारा व्यवहार झूठ से चलता है। आदमी को नीत्से ने लिखा है-कभी भूल कर भी झूठ से मुक्त मत करवा देना अन्यथा उसका जीना मुश्किल हो जाएगा, वह जी ही न सकेगा। वन में वैसे ही काम करता है, जैसे इंजन में लुब्रीकेशन काम करता है। अगर तेल न डालो, लुब्रीकेशन न डालो, तो इंजन चल नहीं पाता। लुब्रीकेशन डाल दो, तो चीजें चल पड़ती हैं, खटर-पटर कम हो जाती है। तेल की चिकनाहट जैसे इंजन को चलाने में सहयोगी है, वैसे झूठ की चिकनाहट दो आदमियों के बीच खटर-पटर नहीं होने देती। घर तुम आए, पत्नी के लिए आइसक्रीम ले आए, फूल खरीद लाए-तुम एक झूठ खरीद लाए। क्योंकि अगर तुम्हारे हृदय में प्रेम है तो आइसक्रीम की कोई भी जरूरत नहीं है, फूल की कोई भी जरूरत नहीं है। प्रेम काफी है। तुम अगर हृदयपूर्वक पत्नी को गले लगा लोगे तो बहुत है। वह तुमने
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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