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________________ लेकिन इस परिभाषा से बड़ी भूलें भी हो गई हैं। कुछ लोग सोचने लगते हैं कि शायद अंधेरे को मिटाना पड़ेगा, तब सुबह होगी। परिभाषा तो बिलकुल ठीक है कि जहां अंधेरा न रह जाए, वहां सुबह। लेकिन इस परिभाषा को तुम अनुष्ठान मत बना लेना। तुम यह मत सोचना कि हम अंधेरे को मिटाएंगे तो सुबह हो जाएगी । तब सब उल्टा हो जाएगा। सुबह आती है, तब अंधेरा मिटता है। अंधेरे को मिटाने की कोई संभावना नहीं है। तुम तो सुबह को पुकारना। तुम तो सुबह को खोजना । तुम तो दीये को जलाना । यद्यपि यह परिभाषा बिलकुल ठीक है कि जब अंधेरा नहीं रह जाता, तब सुबह । परिभाषा की तरह ठीक है, साधन की तरह खतरनाक है। जहां कोई दुख नहीं रह जाता, वहां आनंद है। तो तुम दुख को मिटाने में मत लग जाना, नहीं तो तुम आनंद तक कभी न पहुंचोगे । परिभाषा की तरह बिलकुल सुंदर है। तुम तो आनंद को पुकारना । तुम तो आनंद को जगाना | मेरे पास लोग आते हैं। वे कहते हैं कि हम कैसे दुख से छूटें? मैं कहता हूं तुम दुख से ध्यान हटाओ। तुम जब तक दुख से छूटना चाहोगे, तब तक न छूट सकोगे। क्योंकि दुख से छूटने में तुम दुख ही पर तो नजर रखे हो । दुख से छूटने के लिए तुमने अपनी आंखें दुख में ही गड़ा दी हैं। दुख से छूटने के लिए तुम दुख का ही चिंतन करते हो। जिसका तुम चिंतन करते हो, वह बढ़ता है। दुख से छूटने के लिए तुम क्षण भर को दुख को भूलते नहीं हो। जिसको तुम भूलते नहीं वह गहरा उतरता जाता है। जिसका स्मरण करोगे, वही हो जाओगे । जिससे छूटना चाहोगे, उसकी याद बार-बार करनी पड़ेगी। देखा तुमने कभी किसी को विस्मरण करना हो तो विस्मरण करना मुश्किल हो जाता है! ऐसे हजारों लोग आते हैं जीवन में और भूल जाते हैं। लेकिन किसी को विस्मरण करना हो, फिर कठिनाई हो जाती है। क्योंकि विस्मरण करने में तो स्मरण करना पड़ता है। स्मरण से तो उल्टी प्रक्रिया शुरू हो जाती है। जिसे भूलना हो, उसे मूलने की कभी कोशिश मत करना। अगर कोशिश की तो कभी भूल न पाओगे। क्योंकि कोशिश का तो मतलब होगा फिर-फिर याद जगा लोगे। फिर-फिर कोशिश करोगे, फिर-फिर याद आ जाएगी। भूलना हो तो उपेक्षा । भूलना हो तो ध्यान को कहीं और ले जाना । भुलाने के लिए अगर चेष्टा की तो ध्यान वहीं अटका रहेगा। यह तो ऐसा होगा जैसे कोई अपने घाव में अंगुली डाल कर खेले और सोचे कि इससे घाव भर जाएगा। इससे तो घाव कभी भी न भरेगा, घाव तो हरा रहेगा। तुम तो रोज घाव को बनाते चले जाओगे। तुम तो जितनी अंगुली से खेलोगे, घाव के भरने की कोई संभावना न छूटेगी। तुम भूलो। तुमने देखा, अगर कोई आदमी बहुत बीमार हो तो चिकित्सक कहते हैं, पहली जरूरत है नींद ! अगर नींद आ जाए तो आधी बीमारी ठीक हो जाए। क्यों? नींद का इतना मूल्य क्या है? क्योंकि नींद न आए तो बीमार बीमारी को भूल नहीं पाता। वह घाव में अंगुली डाल कर खेलता है। वह बार-बार वही सोचता है कि सिर में दर्द है, सिर में दर्द है, सिर में दर्द है ! वह जितनी बार सोचता है, दर्द को
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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