SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 177
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यूं बसी है मुझमें तेरी याद साजन मेरे मन-मदिर की मूरत हो गई है। तेरी याद ने दिल को चमका दिया, तेरे प्यार से यह सभा सज गई है। जबाँ पर न आया कोई और नाम, तेरा नाम ही रात-दिन भज गई है। मेरे दिल में शहनाई - सी बज गई है। इस शहनाई को बजने दो। इस पर धुन। नाचो, गाओ, गुनगुनाओ! मेरी दृष्टि में, धर्म वही है जो नाचता हुआ है। और दुनिया को एक नाचते हुए परमात्मा की जरूरत है। उदास परमात्मा काम नहीं आया। उदास परमात्मा सच्चा सिद्ध नहीं हुआ। क्योंकि आदमी वैसे ही उदास था, और उदास परमात्मा को ले कर बैठ गया । उदास परमात्मा तो लगता है उदास आदमी की ईजाद है, असली परमात्मा नहीं । नाचता, हंसता परमात्मा चाहिए ! और जो धर्म हंसी न दे और जो धर्म खुशी न दे और जो धर्म तुम्हारे जीवन को मुस्कुराहटों से न भर दे, उत्सव से न भर दे, उत्साह से न भर दे - वह धर्म, धर्म नहीं है, आत्महत्या है। उससे राजी मत होना। वह धर्म बूढ़ों का धर्म है या मुर्दों का धर्म है-जिनके जीवन की धारा बह गई है और सब सूख गया है। धर्म तो जवान चाहिए! धर्म तो युवा चाहिए ! धर्म तो छोटे बच्चों जैसा पुलकता, फुदकता, नाचता, आश्चर्य भरा चाहिए! तो मैं यहां तुम्हें उदास और लंबे चेहरे सिखाने को नहीं हूं। और मैं नहीं चाहता कि तुम यहां बड़े गंभीर हो कर जीवन को लेने लगो । गंभीरता ही तो तुम्हारी छाती पर पत्थर हो गई है। गंभीरता रोग है। हटाओ गंभीरता के पत्थर को । इकतारे को बजने दो। इस तानपूरे को बजने दो। उठने दो तबले चौथा प्रश्न : वह पत्थर सरक रहा है और तानपूरा बजने को है, और तुम कहते हो थामो! तुम कहते हो, थामो मुझे! कहो कि धक्का दो! कहो कि ऐसा धक्का दो कि मैं तो मिट ही जाऊं, तानपूरा ही बजता रहे। - जिंदगी देने वाले, सुन! तेरी दुनिया से जी भर गया मेरा जीना यहां मुश्किल हो गया। रात कटती नहीं, दिन गुजरता नहीं, जख्म ऐसा दिया जो भरता नहीं। आंख वीरान है, दिल परेशान है,
SR No.032110
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year
Total Pages407
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy