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________________ साक्षी-भाव कैसे भ्रम हो सकता है, थोड़ा सोचो। सिर्फ साक्षी होने को कह रहा हूं : जो भी है, उसे देखने को कह रहा हूं। कुछ करने को कहता तो भ्रम पैदा होता। तुमसे कहता कि यह छोड़ कर यह करो तो भ्रम पैदा होता। तुमसे सिर्फ इतना ही कह रहा हूं : जो भी कर रहे हो, जहां भी हो, भोगी हो योगी हो, जो भी हो, हिंदू हो मुसलमान हो, मस्जिद में हो, मंदिर में हो, जहां भी हो - जागो ! जाग कर देखो। जागने में कैसे भ्रम हो सकता है ? जागे हुए आदमी को भ्रम की कोई संभावना नहीं रह जाती। नींद में सपने होते हैं; जागने में कैसे सपना हो सकता है? 'और यदि लोग सुख-दुख में प्रतिक्रिया करना छोड़ दें तो वे पशु या पेड़-पौधे जैसे तो नहीं हो जायेंगे ?' पहली तो बात, तुमसे किसने कहा कि पशु और पेड़-पौधे तुमसे खराब हालत में हैं ? तुमने ही मान लिया, पेड़-पौधों से भी तो पूछो ! पशुओं से भी तो पूछो ! थोड़ा पशुओं की आंख में भी तो झां कर देखो ! यह भी आदमी का अहंकार है कि वह सोचता है कि वह पशुओं से ऊपर है । और पशुओं की इसमें कोई गवाही भी नहीं ली गई है, यह भी बड़े मजे की बात है। एकतरफा निर्णय कर लिया है। अपने आप ही निर्णय कर लिया है। पशुओं में भी इस तरह की किताबें लिखी जाती होंगी, शास्त्र रचे जाते होंगे, तो उनमें भी लिखा होगा कि आदमी बहुत गया-बीता जानवर है। मैंने तो सुना है कि बंदर एक-दूसरे से कहते हैं कि आदमी पतित बंदर है। डार्विन कहता है ि आदमी बंदर का विकास है, लेकिन डार्विन कौन-सी कसौटी है ? बंदरों से भी तो पूछो ! दोनों ही पार्टियों से भी तो पूछ लेना चाहिए। बंदर कहते हैं, आदमी पतित है। और उनकी बात समझ में आती है। बंदर वृक्षों पर हैं और तुम जमीन पर हो – पतित हो ही! बंदर ऊपर हैं, तुम नीचे हो । किसी बंदर से टक्कर ले कर तो देखो, तो शक्ति बढ़ी कि खोई ? जरा एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष पर छलांग ले कर तो देखो, हड्डी-पसली टूट जायेंगी! तो कला आई कि गई? वह तुमसे किसने कह दिया ? कि खुद ही मान लिया ? यह बड़े मजे की बात है। आदमी की बीमारियों में एक बीमारी है कि आदमी मानता है कि वह सबसे ऊपर है। फिर पुरुषों से पूछो तो वे मानते हैं, वे स्त्रियों से ऊपर हैं। स्त्रियों से बिना ही पूछे ! स्त्रियों की इसमें कोई गवाही नहीं ली गई। इस पर कोई वोट नहीं हुआ कभी। क्योंकि पुरुषों ने शास्त्र लिखे, जो मन में था लिख लिया । और स्त्रियों को तो पढ़ने पर भी रोक लगा रखी थी कि कहीं वे पढ़ भी लें तो बाधा डालेंगी। क्योंकि जो पंडित लिख रहा था, उसकी पत्नी ही उसको कष्ट में डाल देती, अगर पढ़ना आता होता । तो पढ़ने पर बाधा लगा दी कि वेद पढ़ नहीं सकतीं स्त्रियां, यह नहीं कर सकतीं...। हद कर दी पुरुषों ने स्त्रियां मोक्ष भी नहीं जा सकतीं ! मोक्ष जाने के पहले उनको पुरुष होना पड़ेगा, पुरुष पर्याय में आना पड़ेगा। फिर पुरुषों में भी पूछो। गोरा समझता है कि वह ऊंचा है काले से । काले से भी तो पूछो ! मैंने सुना है कि अफ्रीका के एक जंगल में एक अंग्रेज शिकार के लिए गया और उसने अपने साथ एक नीग्रो को गाइड की तरह लिया। जंगल में दोनों भटक गये। और देखा कि कोई सौ आदमियों 50 अष्टावक्र: महागीता भाग-1
SR No.032109
Book TitleAshtavakra Mahagita Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1996
Total Pages424
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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