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मुझे पागल समझ रहा है, मुझे ठीक करने का उपाय कर रहा है।
दस मिनट तक बड़ी अदभुत स्थिति रही होगी। दस मिनट के बाद एक को याद आया कि यह चेहरा तो पहचाना-सा मालूम पड़ता है। अखबारों में फोटो देखे मालूम पड़ते हैं, हो न हो यह आदमी सच में ही तो वही नहीं है जिसका यह दावा कर रहा है! ___ और जैसे ही उसे याद आया तो सारी बात याद आ गई। उसने उस आदमी की किताबें भी पढ़ी हैं; वह जो बोल रहा है, उसमें उसके शब्द भी उसकी पहचान में आने लगे। तब वह चौंका। तब वह समझा जाल क्या है। यह एक प्रयोग था जिसमें मान्यता के आधार पर, हम जो मान लेते हैं, वही सत्य प्रतीत होने लगता है। तब वे दोनों हंसे खिलखिला कर। तब दोनों ने असली स्थिति पहचान ली। तब कोई भी पागल न रहा। मगर दस मिनट तक दोनों पागल थे और प्रत्येक सोच रहा था दूसरा पागल है। दस मिनट तक जो स्थिति थी, वह व्यावहारिक सत्य थी, पारमार्थिक नहीं। उखड़ गई। जैसे ही सच्चाई की याद आई, टूट गई।
एक और प्रयोग में पढ़ रहा था। एक दूसरे विश्वविद्यालय में एक बड़ा जर्मन संगीतज्ञ आया। वह सिर्फ जर्मन भाषा जानता है, अंग्रेजी के दो चार शब्द बोल लेता है। उसके एक विद्यार्थी ने आ कर पहले परिचय दिया श्रोताओं को। और जैसा वह संगीत बजाने जा रहा है, उसके संबंध में परिचय दिया कि बहुत अनूठी कृति है, शायद मनुष्य-जाति के इतिहास में ऐसी कोई दूसरी संगीत की कृति नहीं। इसकी खूबी यह है कि संगीतज्ञ तो पूरा गंभीर रहता है, लेकिन यह एक बड़ा गहरा व्यंग्य है।
और आप अभागे हैं कि आपको जर्मन नहीं आती और आप पूरा न समझ पाएंगे, लेकिन जर्मनी में जहां भी उसने अपने इस संगीत का प्रदर्शन किया है वहां लोग लोट-पोट हो जाते हैं, हंसी के फव्वारे छूट जाते हैं; लोग पेट पकड़ लेते हैं, लोगों के पेट में दर्द होने लगता है। और खूबी यह है इस संगीतज्ञ की कि वह लेकिन अपनी गंभीरता, गुरु-गंभीरता बनाए रखता है, मुस्कुराहट भी नहीं आती। जैसेजैसे लोग हंसते हैं, वह और भी गंभीर होता जाता है। यही तो उसकी खूबी है। और इसी से वह हंसी और भी बढ़ती चली जाती है। वह नाराज तक होने लगता है। वह चिल्लाने तक लगता है कि यह तुम क्या कर रहे हो? मगर वह सारे व्यग्य का हिस्सा है कि वह अपनी गंभीरता को गहन रखता है! और गंभीरता के गहन रखने के कारण पृष्ठभूमि में व्यंग्य और भी प्रगाढ़ हो जाता है, पैना हो जाता है। ___ फिर संगीतज्ञ आया। उसने अपना संगीत का प्रदर्शन शुरू किया। वह विद्यार्थी उसके पीछे खड़ा हो गया। अब लोग भाषा नहीं जानते, मगर तैयारी है उनकी। कोई धीरे से खिलखिलाया, कोई हंसा, फिर हंसी फैलने लगी। फिर सब लोगों ने नजर उस विद्यार्थी पर रखी जो पीछे खड़ा है। वह कई दफे ऐसा हंसता है, पेट पकड़ लेता है, धीरे-धीरे लोग उसकी नकल करने लगे—उस विद्यार्थी कीक्योंकि जब वह हंस रहा है तो कोई बात हंसी की हो ही रही होगी। फिर थोड़ा-थोड़ा लोग अपनी तरफ से भी करने लगे। और वह संगीतज्ञ नाराज होने लगा। और वह चीखने-चिल्लाने लगा। गालियां बकने की नौबत आ गई। वह छोड़ कर खड़ा हो गया और जो दो-चार शब्द उसे अंग्रेजी के आते थे, उसने उससे समझाया कि यह क्या नालायकी है? यह मैं एक गंभीर, अति गंभीर संगीत पेश कर रहा हूं। और यह क्या पागलपन है? तुम्हें भाषा भी समझ में नहीं आती और तुम लोट-पोट हुए जा रहे हो!
तब लोगों ने निवेदन किया कि हमको पहले बताया गया है। उन्होंने इधर-उधर देखा, वह विद्यार्थी
उद्देश्य-उसे जो भावे
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