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बात यह है कि बात कुछ भी नहीं। तूने सब कुछ दिया है इन्सां को फिर भी इन्सां की जात कुछ भी नहीं। इस्तिराबे-दिलो-जिगर के सिवा शौक की वारिदात कुछ भी नहीं। हुस्न की कायनात सब कुछ है इश्क की कायनात कुछ भी नहीं। आदमी पैरहन बदलता है।
यह हयातो-मयात कुछ भी नहीं। आदमी सिर्फ कपड़े बदलता है। न तो जिंदगी कुछ है, न मौत कुछ है।
आदमी पैरहन बदलता है। यह हयातो-मयात कुछ भी नहीं। आदमी की हयात कुछ भी नहीं
बात यह है कि बात कुछ भी नहीं। इतना तुम्हें समझ में आ जाए कि तुम बेबात की बात हो, कि तुम्हें सब समझ में आ गया।
आखिरी प्रश्नः कब से आपको पूछना चाहती हूं। कृपया आप ही बताएं कि क्या पूछू ? मेरे प्रणाम स्वीकार करें!
पछा है 'दुलारी' ने। निश्चित यह बात
है। वर्षों से मैं उसे जानता हूं। उसने कभी कुछ पूछा नहीं। बहुत थोड़े लोग हैं जिन्होंने कभी कुछ न पूछा हो। यह पहली दफे उसने पूछा, यह भी कुछ पूछा नहीं है: _ 'कब से आपसे पूछना चाहती हूं। कृपया आप ही बताएं कि क्या पूछू?'
जीवन का वास्तविक प्रश्न ऐसा है कि पूछा नहीं जा सकता। जो प्रश्न तुम पूछ सकते हो, वह पूछने योग्य नहीं। जो तुम नहीं पूछ सकते, वही पूछने योग्य है। जीवन का वास्तविक प्रश्न शब्दों में
जागो और भोगो
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