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________________ विगई विगति में (याने दुर्गति अथवा असंयम में) बलात्कार से ले जाते है। (अर्थात् बिना कारण से रसना के लालच से विगई का उपयोग करने वाले साधु को भी वह बलात्कार से दुर्गति में ले जाती है, तथा संयममार्ग से भी पतित करती है ।). ॥४०॥ कुत्तिय मच्छिय भामर, महुं तिहा कट्ठ पिट्ठ मज्ज दुहा; जल थल खग मंस तिहा, घयव्व मक्खण चउअभक्खा ॥४१॥ __ कुंतियां का, मधुमक्खि का, एव भ्रमर का शहद इस प्रकार शहद के तीन प्रकार हैं। तथा काष्ठ (वनस्पति) मदिरा और पिष्ट (आटे की) मदिरा, इस प्रकार मदिरा के दो प्रकार की है । तथा जलचर-स्थलचर एवं खेचर जीवों का मांस, इस प्रकार मांस तीन प्रकार के है । घृत की तरह मक्खन भी चार प्रकार के है । इस प्रकार अभक्ष्य विगई १२ प्रकार की कच्ची मांसपेशीया में, (= कच्चे में) पकाये हुए मांस मे, तथा अग्नि के ऊपर सेके हुए (= पकाये हुए) मांस में, इन तीनो ही अवस्था में निश्चय निगोद जीवों की (अनंत बादर साधारण वनस्पति काय के जीवो की निरन्तर (प्रतिसमय) उत्त्पति कही है । इस प्रकार मांस में जबकि ५४ भाष्यत्रयम्
SR No.032108
Book TitleBhashya Trayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri
PublisherAshapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar
Publication Year2018
Total Pages66
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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