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________________ शिवनंद आरैर विश्वकसेन नामके महारथी पुत्र भी आये। शत्रुओं को अक्षोभ्य और युद्ध में चतुर ऐसे उद्धव, धव, शुंभित, महोदधि, अंगोनिधि, जलनिधि, वामदेव और दृढ़वत नामके आठ पुत्र आये। अक्षोम्य से छोटे स्तिमित और उसके उर्मिमान्, वसुमान्, वीर पाताल और स्थिर नामके पांच पुत्र भी आये। सागर और उसके निष्कंप, कंपन, लक्ष्मीवान्, केशरी श्रीमान् और युगांत नामक छः पुत्र आये। हिमवान् और उसके विद्युम्प्रभ, गंधमादन और माल्यवान् नामके तीन पुत्र आये। अचल और उसके महेन्द्र, मलय, सह्य, गिरि, शैल, नगर और बल नामके सात पराक्रमी पुत्र आये। धरण और उसके कर्केटक, धनंजय, विश्वरूप श्वेतमुख और वासुकि नामके पांच पुत्र आये। पूरण और उसके दुःपुर, दुर्भख, दुर्दश और दुर्धर नामके चार पुत्र आए। अमिचंद्र और उसके चंद्र, शशांक, चंद्राभ, शशी, सोम और अमृतप्रभ नाम के छः पुत्र आये। दसों दशार्ह में सबसे छोटे वसुदेव जो पराक्रम में देव के सभी देव जैसे थे, वे भी आये। उनके बहुत से पराक्रमी पुत्र भी साथ में आए। उनके नाम इस प्रकार हैं:- विजयसेना के अक्रूर और क्रूर नाम के दो पुत्र, श्यामा के ज्वलन और अशनिवेग नाम के दो पुत्र, गंधर्वसेना के मानो मूर्तिमान् अग्नि हों, वैसे वायुवेग, अमितगति और महेन्द्रगति नाम के तीन पुत्र, मंत्रीपुत्री पद्मावती के महातेजवान् सिद्धार्थ, दारूक और सुदारू नाम के तीन पराक्रमी पुत्र, नीलयशा के सिंह और मंतगजनाम के दो पुत्र, सोमश्री के नारद और मरुदेव नाम के दो पुत्र, मित्रश्री का सुमित्र नाम का पुत्र, कपिता का कपिल नामका पुत्र, पद्मावती के पद्म और कुमुद नाम के दो पुत्र, पुंड्रा का पुंड्र नाम का पुत्र, रत्नवती के रत्नगर्भ और वज्रबाहू नाम के दो बाहुबली पुत्र, सोम की पुत्री सोमश्री के चंद्रकांत और शशिप्रभ नाम के दो पुत्र, बेगवती के वेगवान् और वायुवेग नाम के दो पुत्र, मदनवेगा के अनाधृष्टि, दृढ़मृष्टि और हितवृष्टि नाम के तीन जगद्विख्यात पराक्रम वाले पुत्र, बंधुमती के बंधुषेण और सिंहसेन नाम के दो पुत्र, प्रियुगु सुंदरी के शिला युध नामका धुरंधर पुत्र, प्रभावती के गंधार और पिंगल नाम के दो पुत्र, जरादेवी के जराकुमार और वाल्मीक नाम के दो पुत्र, अवंतीदेवी के सुसुख और दुर्भुख नाम के दो पुत्र, रोहिणी का बलराम (बलभद्र), सारण और विदुरथ नाम के तीन पुत्र, बालचंद्रा के वज्रदृष्ट्र और अमितप्रभ नाम के दो पुत्र, इसके अतिरिक्त राम (बलभद्र) के अनेक पुत्र कि जिसमें उल्मूक, निषध, प्रकृतिधुति, चारुदत्त, ध्रुव, शत्रुदमन, पीठ, श्रीध्वज, नंदन, श्रीमान्, दशरथ, 220 त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (अष्टम पर्व)
SR No.032100
Book TitleTrishashti Shalaka Purush Charit Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurekhashreeji Sadhvi
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2014
Total Pages318
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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