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________________ क्रम १. २. ३. ४. २२ प्रभु के नाम का अर्थ प्रथम स्वप्न में माता के द्वारा वृषभ देखने के कारण । सोठ बाजी में माता ने राजा को जीत लिया जन्म होने पर धरती पर काफी अनाज बढने लगा । गर्भरूप में भी हंमेशा इन्द्र ने जिनका अभिनंदन किया । न्याय देने में माता की बुद्धि संतुलित रही । मां को कमलपत्र की शय्या में सोने की इच्छा हुई । गर्भ में आने पर माता का शरीर सुंदर हो उठा । ५. ६. ७. ८. ९. १०. ११. १२. १३. १४. १५. गर्भ में आने पर मां ने धर्म का सुंदर व अधिक पालन किया । १६. पूरे देश में शांति स्थापित हो गई, उपद्रव शांत हो गये । स्वप्न में मां ने जमीन में रहे हुए रत्न स्तुप को देखा । स्वप्न में मांने महारत्न देखा । १७. १८. १९. २०. २१. २२. २३. २४. मां के मन में चन्द्रकिरणों को पीने की इच्छा हुई । गर्भ में आने पर माँ ने विधि को भली भांति जाना । माता के कर स्पर्श से पिता का दाह ज्वर शांत हो गया । मां ने अपने आपको श्रेय करने वाली देव शय्या में सोये हुए देखा । पुत्र होने से वसु देवता द्वारा पूजित । वसुपूज्य गर्भ में आने पर माता का शरीर एवं मन विमल (स्वच्छ) बन गया । गर्भ में आने पर मां ने अनंत मणियों की माला देखी । मां की इच्छा पुष्प मालाओं की शय्या पर सोने की हुई । गर्भ में आने पर मां को मुनि की तरह सुव्रत पालन की ईच्छा जगी गर्भ में आने पर विरोधियों के भी झुक जाने से । गर्भ के समय मां ने अरिष्ट रत्नमय चक्र देखा । माँ ने पास में जाते हुए काले सर्प को देखा । धन-धान्य, सुख-समृद्धि बढने के कारण । ९
SR No.032087
Book TitleTirthankar Vandana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnatrayvijay
PublisherRanjanvijayji Jain Pustakalay
Publication Year2006
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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