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________________ गाथा विषय पत्र ५६-६२ पंचेन्द्रियमा जे एकतालीस कर्मप्रकृतिओनो उत्कृष्ट स्थितिए बन्ध जेटला समय सुधी नथी थतो तेनु निरूपण ६६-७३ ६३-६४ अनुभागनु स्वरूप तथा शुभाशुम प्रकृतिओना तीव्र-मन्द रस बंधावानां कारणो भने चार प्रकारना रसनु स्वरूप ७३-७७ ६५ शुमाशुभ रसोनु विशेष स्वरूप ६६-६८ सर्व कर्मप्रकृतिओने आश्रयी उत्कृष्ट अनुभागबन्धना स्वामीओ ७९-८२ ६६-७३ सर्व कर्मप्रकृत्तिओने आश्रयी जघन्य अनुभागबन्धना स्वामीओ ८२-८८ ७४ मूल अने उत्तर कर्मप्रकृति विषयक अनुभागबन्धना.भांगाओ ८१-१४ ७५-७७ ग्रहणयोग्य अने अग्रहणयोग्य कर्मवगणानु स्वरूप अने साथे साथे औदारिक क्रियादि समस्त योग्य-अयोग्य वर्णणाओनु स्वरूप तथा तेनु अवगाहनाक्षेत्र ६५-६६ ७८-७६ जीवने ग्रहण करवा योग्य कर्मदलिकनु स्वरूप ९१-१०१ ७६-८१ एक अध्यवसायथी ग्रहण करेला कमलकोमाथी केटलो केटलो अंश कई कई मूलकर्मप्रकृतिने भने उत्तरकर्मप्रकृतिने जाय ? तेनु स्वरूप १०१-१०९ ८२-८३ कर्मक्षपणमां हेतुभूत अगिआर प्रकारनी गुणश्रेणिर्नु स्वरूप अने ते द्वारा थती कर्मदलिकनी निर्जरानु स्वरूप समजाववा माटे दलिकरचनानु वर्णन ११०-११२ ८४ गुणस्थानकोना जघन्य उत्कृष्ट अंतरकालनु वर्णन ११२-११४ ८५ सूक्ष्म अने बादर एम बे प्रकारना उद्धार, अद्धा अने क्षेत्र पल्योपम सागरोपमनु स्वरूप ११४-११६ ८६-८८ सूक्ष्म अने बादर एम बे प्रकारना द्रव्य, क्षेत्र, काल अने माव पुद्गलपरावर्तोनु स्वरूप ५१६-१२३ ____८. उत्कृष्ट प्रदेशबन्ध अने जघन्य प्रदेशबन्धना स्वामीओ १२३ ६०-१२ मूल कर्मप्रकृति अने उत्तरकर्मप्रकृति ने आश्री उत्कृष्ट प्रदेशबन्धना स्वामीओ १२४-१२६ ९३ मूलकर्मप्रकृति अने उत्तरकर्मप्रकृतिने आश्री जघन्य प्रदेशबन्धना स्वामीओ १२६-१३१ १४ प्रदेशबन्धना साद्यनादि भांगाओ १३१-१३६ १५-१६ योगस्थान, प्रकृतिभेदो, स्थितिभेदो, स्थितिबन्धाध्यवसाय, अनुभागम्थानो कर्मप्रदेशो, रसाविमागो ए सातनुपरस्पर अल्पबहुत्व १३६-१४३ ६७ घनीकृत लोक, श्रेणिरज्जु-सूचीरज्जु, प्रतररज्जु अने घनरज्जुनु स्वरूप १४३-१४५ १८ उपशमश्रेणि १४५-१५५ ६६-१०० क्षपकणि अने शतक कर्मग्रन्थनो उपसंहार १५५-१५९ ग्रन्थकारनी प्रशस्ति १६० छट्टा कर्मग्रन्थनो विषयानुक्रम । गाथा विषयः मंगलाचरण अने अभिधेयनु निरूपण १६१-६२ बन्ध उदय सत्ता अने प्रकृतिस्थाननु स्वरूप १६२ जीव केटली प्रकृतिओने बांधतो केटली वेदे, केटली सत्तामा होय इत्यादि प्रश्न अने तेना उत्तरमा अनेक विकल्पो १६३-१६४ पत्र
SR No.032086
Book TitleNavya Panch Karmgrantha Tatha Saptatika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri, Purvacharya, Malaygirisuri
PublisherBharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
Publication Year1977
Total Pages602
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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