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________________ १२ ] प्रकाशकीय ग्रन्थ के सम्पादक श्री हेमचन्द्राचार्य जैन पाठशाला-अहमदाबाद के अध्यापक श्री रतिभाई तथा श्री जैन धार्मिक पाठशाला पिण्डवाडा के अध्यापक श्री चम्पकभाई की सेवा प्रशंसनीय रही । प्रस्तावना लेखक श्री जैन श्रेयस्कर मण्डल संचालित सूक्ष्मतत्त्वबोध पाठशाला पालिताणा के अध्यापक श्री कपूरचन्दभाईने भी प्रास्ताविक वचन में अपने तलस्पर्शी अभ्यास का परिचय दिया है, जिसे भुलाया नही जा सकता है । छ कर्मग्रन्थों के प्रकाशन में प्रथमभागस्वरूप 'आद्यकर्मग्रन्थ चतुष्क' की २५० नकल पृथक् छपी है-जिसके मुद्रणव्यय का लाभ निपाणी (महाराष्ट्र) नगर के उदारचित्त सुश्रावक 'श्री कोरडिया दत्त भाइ गणपति जत्राटकर' ने उठाया है। जिनशासन के प्रति आपके हृदय में अतीव भक्ति है और आपका श्रावक जीवन पुष्प वर्धमान तप की १०० ओली की आयंबिल तपश्चर्या से सुवासित हैआपकी धर्मपत्नी सुश्राविकाने भी ३६ ओली की थी । आपकी अन्य धर्मप्रवृत्ति और धर्मरुचि भी अनुमोदनीय है । दूसरे भाग-'पांचवा और छट्ठा कर्मग्रन्थ' की २५० नकल के मुद्रणव्यय का लाभ कोल्हापुर निवासी सुश्रावक इन्दुमलजी ने ऊटाया है। आपके हृदय में जिनशासन की श्रद्धा और आराधना की ज्योति सदा प्रज्वलित रहती है। धर्मानुष्ठानों में धनव्यय का कार्य भी निरन्तर गतिमान है। दोनों भाग की मिलित २५० नकल के मुद्रणव्यय का लाभ श्री जैन संघ केनींग स्ट्रीट कलकत्ता ने अपने ज्ञाननिधि में से व्यय करके उठाया है। इस संघ के ट्रस्टीमंडल की यह धार्मिक द्रव्य की सुव्यवस्था अनुमोदनीय एवं धन्यवाद के पात्र है तथा ज्ञानोदय प्रिन्टिंग प्रेस, मुद्रणालय पिण्डवाडा के व्यवस्थापक ब्यावर निवासी फतेहचंदजी जैन (हाला वाले) और अन्य कर्मचारिओं का सहयोग भी अविस्मरणीय रहेगा। और अधिक ग्रन्थों के प्रकाशन की प्रतीक्षा में भवदीय(i) पिंडवाड़ा शा. समरथमल रायचदजी (मंत्री) ___स्टे. सिरोहीरोड (राजस्थान) (ii) १३५/१३७ जौहरी बाजार शा. लालचंद छगनलालजी (मंत्री) बम्बई-२ __ भारतीय प्राच्य-तत्त्व प्रकाशन समिति ® समिति का ट्रस्टी मंडल के (१) शेठ रमणलाल दलसुखभाई (प्रमुख) खंभात (६) शा. लालचंद छगनलालजी मंत्री पिंडवाड़ा (२) शेठ माणेकलाल चुनीलाल बम्बई (७) शेठ रमणलाल वजेचन्द अहमदाबाद (३) शेठ जीवतलाल प्रतापशी बम्बई (८) शा. हिम्मतमल रुगनाथजी बेडा (४) शा. खूबचंद अचलदासजी पिंडवाडा (९) शेठ जेठालाल चुनीलाल घीवाले बम्बई (५) शा. समरथमल रायचंदजी मंत्री पिंडवाड़ा (१०) शा. इंद्रमल हीराचंदजी पिंडवाड़ा
SR No.032086
Book TitleNavya Panch Karmgrantha Tatha Saptatika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri, Purvacharya, Malaygirisuri
PublisherBharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
Publication Year1977
Total Pages602
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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