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________________ श्रीगौतमरास. ॥२॥ जैनं । वाक्यं । नूया। झुत्यै ॥३॥ सिधा । देवी। दद्यात् । सौख्यं ॥४॥ ॥ ॥ इति लघ्वीत्रीचंदसि श्रीवीर स्तुतिः॥६॥॥ ॥ ॥ .. ॥अथ अष्टमी स्तुतिः॥ ॥ॐ॥ चन्वीसे जिनवर प्रणमुंहुं नितमेव । आम्म दिनकरियै चंद्राप्रजुनी सेव । मूरति मनमोहे जाणे पूनिमचंद । दीगंमुख जायै पामेपरमानंद ॥१॥ मिल चोसठ इंद्र पूजै प्रनुजीना पाय। इंद्राणी अपहराकरजोमी गुणगाय । नंदीश्वर श्री. मिल सुरवरनी कोड। अहाही महोडवकरतां होमा होम ॥२॥ सेठेजा सिखरै जाणी लाल अपार । चौमासे रहिया गणधर मुनि परिवार । नवियणनें तार देइ धरम नपदेश । दूध साकरथी पिण वाणी अधिक विशेस ॥ ३ ॥ पोसो पडिकमणो करियै ब्रतपचखाण । आठम तप करतां आठकरमनी हाण। आठमंगल थायें दिन २ कोडि कल्याण । जिन सुखसूरि कहै इम जीवत जनम प्रमाण ॥ * ॥ इति अष्टमी स्तुतिः॥८॥ ॥सर्वदिन स्तुतिः॥ ॥॥ मूरति मनमोहन कंचन कोमलकाय । सिघारथ नंदन त्रिसला देवि सुमाय । मृगनायक लंउन सातहाथ तनु मान । दिन दिन सुख दायक स्वामी श्रीबधमान ॥१॥सुर नरवर किन्नर वदित पद अरिविंद । कामित जर पूरण अनिनव सुरतरुकंद । लवियणनें तार प्रवहण समनिसि दीस। चोवीसे जिनवर प्रणमुं.विसवावीस ॥२॥अरथै करि आगम नाष्या श्रीनगवंत । गणधर तेगुंथ्या गुणनिधि ग्यान अनन्त । सुरगुरु पिण महिमा कहिनसके एकन्त । समरूं सुखदायक मनसुध सूत्रसिद्धन्त ॥३॥ सिघायिका देवी वारे विघनविशेष । सहु संकट चूरै पूरै आस असेष । अहनिसि करजोडी सेवै सुर नर इंद। जंपई गुणगण इम श्रीजिनलाल मुरिंद॥४॥ ॥ॐ॥ ॥ ॥ इति श्रीमहावीर जिनस्तुतिः॥९॥ ॥ ॥ ॥ ॥अथ दशमी स्तुतिः॥ ॥ ॥ अश्वसेन नरेसर वामा देवी नंद । नवकर तनु निरुपम नील वरण सुखकंद । अहिलंगण सेवित पनमावइ धरणिंद। प्रहकती प्रणमुं नि
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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