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________________ सहसकूट १०२४ जिनपूजा. ७६१ वा०प०॥१॥ स्वयं प्रनु जिन अंतरजांमी। सर्वानुनूत नदारी । देवश्रुती जिनपर नपगारी । नदय पेढाल विचारीरे । वा० ॥५०॥ २ ॥ पोहल जिन शत किर्ती कहिये । मुव्रत जिन हितकारी । अमम जिनेसर बारमो कहिये । निकषाय गुणधारी रे। वा०प०॥३॥ निप्पुलाक जिन पनरमो सेवो। महिमा अधिकतुमारी । सोलम निरमम जिनवर नावै । सेवकरो इकतारी रे। वा० ॥५०॥४॥ चित्र गुपति चितचाह धरीनें । समाधि से वो सुविचारी । संबर जिनगुण मणिके आगर । जस्सोधर जशधारीरे । वा० ॥ ५० ॥५॥ विजयमल्लि देवज जिन पूजो। अनंतवीरज शुनचारी जावकरी नद्रंकर सेवो। एहीज निजगुण धारीरे । वा०॥५०॥ ६॥ना वी जिनवर नत्तम कहिये । चरण कमल बलिहारी । सुमति कहै तन मन कर नऊल। सेवोजिन इकतारीरे। वा० ॥ प०॥७॥ क्षी परमा० सहस कूटजिनेंद्राय धूपं० ॥४॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ * ॥अथ (५) दीपक पूजा॥॥ ॥ ॥ (दूहाः) दीपक कंचन मय करी । पूजो जग जरतार । धा तकी पूरब खममें । जरत तणा जिनसार ॥१॥ ॥ ॥ ॥ * ॥ ( ढाल)॥ तुमविन दीनानाथ दयानिध कोन०॥(ए चाल) ॥ॐ॥धातकी खमै पूरव नरतै । अतीत चौवीसी वंदोरे। धा० । रतन प्रजूनें अमल प्रजी । असंभव जिन चंदोरे । धात०॥ १॥ श्री अकलंक चंद्रा प्रनु प्रणमुं । सुनंकर सुखकंदोरे । सपत नाथ जिन सुंदर नावै। नाथ पुरंदर इंदोरे ॥ धा० ॥ २ ॥ श्रीस्वामी जिन देव दत्तजी । वासवदत्त सुनंदोरे । श्रीश्रेयांस जिनेसर वंदो । वीरस्वरूप आनंदोरे॥धा० ॥३॥श्रीतप तेज दिवाकर सेवो । श्रीप्रतिबोध सुदेवोरे। श्रीसिघारथ जिनवर पूजो । स्यंदन जिणगुण देवोरे। धा०॥४॥ अमल नाथ देवेंद्र सुपूजो। प्रवचन नाथ सुचंदोरे । विश्वानन जिनदेव सुवंदो। मेघ अधिक गुण वृंदोरे॥धा० ॥ ५ ॥ श्रीसर्वज्ञ जिनेसर वंदो। चौवीसम मुनिचंदोरे । धातकी खम पूरबनरते । अनागत जिनवृंदोरे ॥धा० ॥६॥ इमहीज धातकी पूरब जरतै । वर्तमान सुखकंदोरे। सुमतिसदा जिनराज
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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