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________________ जय तिहुण बत्तीसी. ५१ हि । जंजायइ बहुदरसणत्थ बहुनामपसिद्धन । सोजोइम एकमल नसल सुहपासपवचन ॥ ९ ॥ नयविप्रल र मणिर दस थरहरि सरीरय । तरलिप्रनयण विसुरासु गग्गर गिरकरुणय । तई सहसत्ति सरंतिहुंति नरनासि गुरुदर । महविवि सिझसइपास जयपंजरकुंजर ॥ १० ॥ पई पासवि विप्रसंतनित्त पत्तंतपवत्तिय । वाहपवाहपवूढरूढ दुहदाहसुपु लिय । माहिमसन पुप्पासुरनर । इयतिहुत्रण प्रा णंदचंद जयपासजिणेसर ॥ ११ ॥ तुहकल्ला महेसुघंट टंका रवपिल्लि । वल्लिरमल्ल महल्लनत्तिसुरवरगंजुलि । हलुप्फ लिन पवत्तयंतिनवणेहि मह्रसव । इयतिहुत्राणंदचंद ज यपास सुहुभ्नव ॥ १२॥ निम्मल केवल किरणनियर विहुरिय तमपयहर । दंसिसयल पयत्थसत्थ वित्थरिष्पहार । क लिकलुसि जणघूतोय लोयहप्रगोयर । तिमिरई निरु हरपासनाह भुवणत्तय दियर ॥ १३ ॥ तुहसमरणजल वरि ससित्त माणवमइमेइणि । वरावरसुहुमत्थबोह कंदलदलरेइ णि । जायइफलनर रियहरिय दुहदाहप्रणोवम । इयमइ इणिवारिवाह दिसपासमई मम ॥ १४ ॥ कयविकल क लाणवल्लि नल्लूरिप्रहवणं । दाविप्रसग्ग पवग्गमग्ग दुग्गइग मवारणं । जयजंतुहजणएणतुल्ल जंजणियहियावहु । रम्मध म्मसोजयनपास जयजंतुविश्राम ॥ १५ ॥ भुवणारनिवा सदरि परदरसणदेवय । जोइणिपूणखित्तवाल खुद्दासुरपसु वय । तुहनत्तठसुन सुष्ठु प्रविलचिहि । इयतिहुण व सहपास पावाइ पणासहि ॥ १६ ॥ फणिफणफार फुरंतरय ए करंरंजिनहयल । फलिणीकंदलदल तमाल निप्पल
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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