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सतरनेदी पूजा (तथा) आरती -
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नव नाटक ते नविनमें | सोलमी पूजा सार ॥ १ ॥ ( राग सुध नह ) ( काव्य ) नावादि प्यमाणासु चारु चरणा संपुन्न चंदानना । सप्पिम्मा सम रूव वेसक्यो मत्तेच कुंजत्थणा | लावणा सगुणापि कस्सरवई रागाइ आलावणा । कुम्मारी कुमरा विजै न पुरन नच्चति सिंगारणा ॥ १ ॥ ( गद्यं ) तएते असयं कुमारि कुमरीन | सूरियानेणं देवेणं संदिठा | रंग मंगवे पविद्या । जिणनमंता । गायंता । वार्यता | नञ्चंतेत्ति ॥ २ ॥ ॥ ॥ * ॥ अथ विधि (राग नट्ट त्रिगुण) ॥ * ॥
॥ ॥ नाचंती कुम्मार कुमरी द्रागमदि तत्ता थेश्य ( ० ) || द्रागम दि २ कि यौगि २ न । मुखं तत्ता थेय ( ० १ ना० ) वेणु बीणा सुरज बाजै । सोलही सिणगार साजै । तनन्नन्नन्नेईय (इयो ) | aur aur turer area aमकै । राई ( ० २ ना० ) कसंती कंचुकी तरु णी। मंजरी फ्रैंकार करणी। सोनंती कुमरीय ( अइयो ) हस्त कंहा वा दि जावै । ददन्ती नमरीय ( ० ना० ) || ३ || सोलमी नाटक तणी । सूरीयाने रावण कीनी ॥ सुगंध तत्तात्थेय ( ० ) जिमप जगतें नविक atur | आणंद तत्तात्थेईय ( ० ना० ) ॥ ४ ॥ इति सोलमी नाटिक पूजा ॥ ॥
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॥ ॐ ॥ अथ सतरमी बाजिव पूजा ॥ * ॥ ॥ * ॥ सतरमी पूजामें सब जातिका बाजित्र बजावै । मुखै इम पढे । तत घन सुखरै निधै । बाजित्र चौविध वाय । जगत नली भगवंतनी । सतरमी ए सुखदाय ॥ १ ॥ ( गाहा ) सुरमद्दल कंसालो । महुयर मद्दल सुवाए पणवो। सुरनारि नंदितूरो। पण तूं नंद जिपनाह ॥ १ ॥ ( रा मधुमाधवी ) ॥ तूं नन्दि प्रानन्दि बोलत नन्दी । चरण कमल जंतु ज त्रय वन्दी || ( तूं ० ) ॥ ज्ञाननिर्मल वावन मुखवेदी | तिबलवो रंग प्रति हिन्दी | ( ) ॥ १ ॥ मेरी गयणवाजंती कुमति ताजंती । सेवे जैन जैणावंती | जैन शाशन जश्वंत नंदती ॥ नदयसिंघ परि परिय वदंती ॥ (तूं०) ॥ २ ॥ सेवनाविक मधुमाधन फेरी । जवनी फेरी नप्पनणंती । कहै साधु स. तरमी पूजा वाजित्रसब | मंगल मधुर धुनिकर कहती ( तूं ० ) ३ ॥ * ॥
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