SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 517
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मंगल स्तवन श्री नेमिनाथ नवरसो. ५०५ यो० ॥३॥ गेहि बोले गेहि चाले । कपट करे एक मूठो ॥ साचो एह असार देखके । जिनदाश सबसूं रूठो ॥ यो० ॥ ४॥ * ॥ ॥ मंगल स्तवन राग सामेरी॥॥ ॥ ॥ कीजे मंगल चार । आज घरे नाथ पधारया॥ कीजै ॥ (आंकणी)॥ पहेलु मंगल प्रनुजीकुं पूजू । घसी केशर घनसार ॥आज ॥१॥बीजं मंगल अगर नखे, । कंठेठ फुल हार ॥आज०॥२॥ त्री मंगल आरती तारुं । घंट बजावु रणकार ॥आज०॥३॥ चो) मंगल प्रनु गुण गाएं । नाचूं ते थैथैकार ॥आज०॥४॥ रूपचंद कहे नाथ निरंजन । चरण कमल जानं वार ॥ आज०॥५॥ इति ॥॥ ॥ ॥ अथ श्रीनेमनाथजीको नवरसो प्रारंनः॥॥ || ढाल पहली, गवाकी देशीमें॥ . ॥ ॥ समुद्र विजय कुल चंदलो । शामलियाजी । शिवादेवी मात मलार । वर पातलियाजी । एक दिन रमवा नीसरया ॥शा० ॥ श्रा व्या आयुधशाला माहे ॥२०॥१ ॥ सारंग धनुष चढावियुं ॥ शा० ॥ तेणे मोठ्या आकाशें इंद्र ॥व०॥ चक्र नपामीने फेरव्यु ॥शा०॥ गदा लीधी कमरांहे ॥ व० ॥ २ ॥ नेमें शंख वजामीयो ॥शा०॥ तेणें मो च्या माहिना मेर ॥२०॥ शेष नाग तिहां सल सल्या ॥शा०॥ खलन लीया सायर सर्व ॥ व०॥३॥ गिरिवर ढूंक तूटी पड्यां ॥शा०॥ थरहर कंपे लोक ॥व०॥ कोइक वैरी ऊपनो ॥ शा० ॥ इम करता कृष्ण विचार ॥व०॥४॥आव्या तिहां नंतावला॥शा०॥ जिहां नेम कुमार। व०॥ रूपचंद रंगे मल्या ॥ शा०॥ ताहाँ बल जोवानी खंत ॥व० ५॥ ॥ ॥ ढाल बीजी॥॥ कृष्ण कर लंबावायो॥ हसी बोलोजी । तुम वालो नेम कुमार। अंतर खोलोजी। कमलनाल परें वालीयो । हसी०॥ण नवि लागी वार ॥अंत० ॥१ नेमें कर लंबावीयो ॥ हसी०॥ कृष्ण नवि वाल्यो जाय ॥ अंत० ॥ हाथे कृष्णा हिंचोलिया ॥ हसी० ॥ तिहां हरि मन ऊंखो थाय अं० ॥२॥ नारी जो परणावीयें ॥ ह° ॥ तो बल नोरं थाय ।
SR No.032083
Book TitleRatnasagar Mohan Gun Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktikamal Gani
PublisherJain Lakshmi Mohan Shala
Publication Year1903
Total Pages846
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy